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राज्य स्तरीय आयुर्वेद नर्सेज प्रशिक्षण में विशेष सत्र आयोजित
जोधपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। राज्य स्तरीय आयुर्वेद नर्सेज आमुखीकरण आवासीय प्रशिक्षण के अंतर्गत बुधवार को वरिष्ठ सर्जन डॉ. प्रेमसुख ने बताया कि क्षारसूत्र चिकित्सा बिना चीरा-टांका और कम से कम दर्द के साथ नासूर, मस्से और नाड़ीव्रण जैसे जटिल रोगों का स्थायी उपचार प्रदान करती है। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत द्वारा वर्णित इस पद्धति में औषधीय तत्वों से तैयार धागा एक साथ काटने, शोधन और रोपण तीनों कार्य करता है, जिससे रोगग्रस्त ऊतक स्वस्थ ऊतक में परिवर्तित हो जाता है।
क्षारसूत्र विधि की सबसे बड़ी विशेषता इसका कम संक्रमण जोखिम और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ है। रोगी कम समय में अपने दैनिक कार्यों में लौट सकता है। अब इस चिकित्सा का उपयोग एनल फिशर, नाड़ीव्रण, पाइल्स और कुछ स्त्रीरोगों में भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
इसी क्रम में एक अन्य सत्र में वरिष्ठ एडवोकेट राजेश मिश्रा ने राजस्थान सेवा नियम, वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियमतथा अवकाश प्रावधानों पर विस्तृत परिचर्चा की।
उन्होंने नर्सिंग कार्मिकों को सेवा संबंधी अधिकारों, अनुशासनात्मक कार्यवाही और अपील प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी दी, जिससे प्रशिक्षणार्थियों को विभागीय कार्यप्रणाली की गहन समझ मिली। कार्यक्रम के समापन सत्र में नोडल प्रभारी डॉ. अशोक कुमार मित्तल और सहायक निदेशक डॉ राजकुमार ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और आयुर्वेद सेवा में अनुशासन, करुणा और समर्पण की भावना से कार्य करने का संदेश दिया।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण की प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. देवेन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. सुखवीर सिंह चौधरी, डॉ. मुकेश प्रजापत, नर्सिंग अधिकारी सलीम सुल्तान, दिनेश चौधरी सहित अनेक अधिकारी, प्रशिक्षक और नर्सिंग कर्मी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश