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लखनऊ,29 अक्टूबर (हि.स.)। अस्थमा की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण तेजी से बढ़ रही है। अस्थमा भी एक प्रकार की फेफड़े की एलर्जी है। जो कि गैर संचारी रोगों में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी में से एक है। इससे पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति ग्रसित हैं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश ने बुधवार को दी।
डा.वेद प्रकाश ने बताया कि अस्थमा बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है। अस्थमा से पूरे विश्व में लगभग 14 प्रतिशत बच्चे ग्रसित होते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक सभी अस्थमा के मरीजों में सिर्फ 5 प्रतिशत व्यक्ति ही अस्थमा के लिये समुचित रूप से इलाज ले पाते हैं।
एलर्जी अस्थमा का इलाज-एलर्जी करने वाला तत्व अगर ज्ञात हो सके तो उससे दूर रहे। डाक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी एवं स्टेराॅयड के सेवन से एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है। इन्हेलर के समुचित तरह से सेवन से अस्थमा को कारगर तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। एलर्जी के बारे मे जागरुकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है। इम्यूनोथेरेपी- आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है परन्तु यह महंगा है और विषेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है।
केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी (ICAAICON 2025) के 59वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का गौरवपूर्वक आयोजन किया जा रहा है। इसका उदघाटन उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक गुरूवार को करेंगे। डा. वेद प्रकाश ने बताया कि यह सम्मेलन एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में ज्ञान को आगे बढ़ाने, अनुभवों के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करेगा। इस बार 800 से अधिक प्रतिभागियों और 200 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की सहभागिता इसे ऐतिहासिक बना रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन