प्रसंज्ञान आदेश रद्द करने से इनकार, लापरवाही के मामले में महिला चिकित्सक के खिलाफ चलेगी ट्रायल
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जयपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रसव के दौरान नवजात की मौत के मामले में निचली अदालत की ओर से सेवायतन अस्पताल की चिकित्सक डॉ. विनय सुरैन के खिलाफ निचली अदालत की ओर से लिए प्रसंज्ञान को सही माना है। अदालत ने कहा कि मामले में कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना निचली अदालत मामले की सुनवाई करेगी। जस्टिस आनंद शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. विनय सुरैन की आपराधिक याचिका को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि निचली अदालत ने मामले में पेश एफआर को अस्वीकार कर इसे अग्रिम अनुसंधान के लिए भेजने के दौरान कोई गलती नहीं की है।

याचिका में कहा गया कि मामले में सोडाला थाना पुलिस ने दिसंबर, 2007 में एफआर पेश कर दी थी। इसके बाद शिकायतकर्ता को समय देने के बाद भी उसने प्रोटेस्ट पिटिशन दायर नहीं की। वहीं दूसरी ओर जांच अधिकारी के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने प्रकरण को अग्रिम अनुसंधान के लिए भेज दिया और मामले में सीआईडी सीबी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया। जिस पर निचली अदालत ने प्रसंज्ञान ले लिया। ऐसे में प्रसंज्ञान आदेश को रद्द किया जाए। जिसका विरोध करते हुए परिवादी दिनेश आर मेहता की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सक्सेना ने बताया कि परिवादी की पुत्रवधू सोनल को डिलीवरी के लिए सेवायतन अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत हो गई। याचिकाकर्ता अपने आप को स्त्री रोग विशेषज्ञ होने का दावा करती है, लेकिन वह इसकी विशेषज्ञता नहीं रखती है। इसके अलावा अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए भी दक्ष स्टाफ नहीं था। ऐसे में याचिकाकर्ता की लापरवाही के चलते नवजात की मौत हुई थी और निचली अदालत ने मामले में प्रसंज्ञान लेकर कोई गलती नहीं की है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत याचिका को खारिज कर दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक