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भाेपाल, 29 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार एक बार फिर से लोन लेने जा रही है। इस बार मोहन सरकार ने 5200 करोड़ रुपए का लोने लने जा रही है। इस तरह अब राज्य का कुल कर्ज का बोझ बढ़कर 4.64 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने राज्य पर बढ़ते कर्ज को लेकर निशाना साधा है। उन्हाेंने कहा है कि अब तो बजट से ज्यादा राज्य पर कर्ज हो गया है। इसके साथ ही पूर्व सीएम ने प्रदेश में निवेश और राेजगार काे लेकर भी सरकार काे जमकर घेरा है।
कमलनाथ ने बुधवार काे साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट कर लिखा मध्य प्रदेश की सरकार की आमदनी और ख़र्च के बीच आमदनी अठन्नी और ख़र्चा रुपैया वाली स्थिति आ गई है। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर से 5200 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया है। इसके बाद प्रदेश के ऊपर कुल कर्ज़ की राशि अब 4.60 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार का बजट 4.21 लाख करोड़ रुपये है। उन्हाेंने कहा कि इस तरह मध्य प्रदेश के वित्तीय हालात ये हैं कि सरकार साल भर में जितनी आय प्राप्त करती है उससे ज़्यादा का कर्ज़ सरकार के पास हो गया है। ग़ौर से देखें तो सरकार के बजट और कर्ज़ के बीच क़रीब 40, हज़ार करोड़ रुपये का अंतर आ चुका है। कई बार तो कर्ज़ का ब्याज चुकाने के लिए भी प्रदेश सरकार को नया कर्ज़ लेना पड़ता है।
पूर्व सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश की इतनी ख़राब वित्तीय हालत होने के बावजूद भाजपा के नेता अपनी शानोशौकत पर सरकारी पैसा ख़र्च करने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे। कर्ज़ में डूबे प्रदेश के बावजूद सरकार ने एक हवाई जहाज़ ख़रीदने का फ़ैसला किया है। मंत्रियों के बंग्लों की साज सज्जा पर ख़र्च किया जा रहा है और घोषणा करने वाली इवेंटबाज़ी पर भी जमकर पैसा लुटाया जा रहा है। कमलनाथ ने आगे कहा इतना भारी कर्ज़ लेने के बावजूद ना तो लाड़ली बहनों को वादे के मुताबिक़ 3 हज़ार रुपया प्रतिमाह दिए जा रहे और न ही किसानों को गेहूं और धान का वह समर्थन मूल्य दिया जा रहा है जिसका वादा भाजपा ने विधानसभा चुनाव में किया था। बेरोजगारों के लिए नौकरी नहीं है और छात्रों की छात्रवृत्ति का पैसा भी सरकार के पास नहीं है। ज़ाहिर है कि भाजपा सरकार में वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह ग़ायब है और मन मर्ज़ी से जनता का पैसा फ़िज़ूलखर्ची में उड़ाया जा रहा है।
राेजगार और निवेश काे लेकर कसा तंजकमलनाथ ने एक अन्य ट्वीट कर प्रदेश में निवेश और राेजगार काे लेकर सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने “उद्योग एवं रोजगार वर्ष” के नाम पर पूरे साल बड़े-बड़े दावे किए। कहा गया कि हजारों करोड़ का निवेश आ रहा है और लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। लेकिन जब साल का हिसाब सामने आया, तो सच्चाई बेहद चौंकाने वाली निकली।सरकार के मुताबिक, एक साल में 30.77 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए। लेकिन इनमें से सिर्फ लगभग 20% प्रस्तावों में ही कोई हलचल हुई। बाकी सारे प्रस्ताव या तो कागज़ों में ही अटके हैं या फिर बस विज्ञापन और भाषणों तक सीमित रह गए। कमलनाथ ने आगे कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि रोजगार के मामले में स्थिति पूरी तरह शून्य है। जिन युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद थी, उन्हें निराशा हाथ लगी। सरकार ने निवेश तो गिना दिए, लेकिन रोजगार देने में पूरी तरह नाकाम रही। यह सरकार की नीतियों की नाकामी का साफ़ सबूत है।प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री सालभर निवेश सम्मेलनों में व्यस्त रहे, लेकिन ज़मीन पर न तो कोई बड़ा उद्योग शुरू हुआ, न ही युवाओं को नौकरियां मिलीं। प्रदेश के युवाओं के लिए यह आंकड़ा दर्दनाक मज़ाक जैसा है। पूर्व सीएम ने कहा अब ज़रूरत है कि सरकार इवेंट, भाषण और विज्ञापनों से बाहर निकले। जनता की असली समस्याएं देखे, उद्योगों को ज़मीन पर उतारे, और युवाओं को वास्तविक रोजगार दे। क्योंकि जनता अब दिखावे नहीं, परिणाम चाहती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नेहा पांडे