हिमरी में वन एवं सड़क निर्माण अनियमितताओं पर सुप्रीम कोर्ट की समिति ने अधिकारियों को तलब किया
हिमरी में वन एवं सड़क निर्माण अनियमितताओं पर सुप्रीम कोर्ट की समिति ने अधिकारियों को तलब किया


शिमला, 29 अक्टूबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय सशक्त समिति ने शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के गांव हिमरी और आसपास के क्षेत्रों में संरक्षित वनों के भीतर कथित अवैध सड़क निर्माण, अवैध खनन और लकड़ी की तस्करी से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं के मामले में वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है।

यह कार्रवाई इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन नंबर 140072 और 140078/2025 के तहत की गई है, जिसे गांव हिमरी निवासी याचिकाकर्ता विजयेंद्र पाल सिंह ने दाखिल किया था। यह आवेदन 25 जून 2025 के उस आदेश से संबंधित है, जिसमें प्रस्तावित हिमरी–नल्लाह सड़क परियोजना के लिए 875 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई गई थी।

केंद्रीय सशक्त समिति को प्रस्तुत दस्तावेजों में याचिकाकर्ता ने व्यापक अनियमितताओं, आधिकारिक आंकड़ों में हेरफेर और अभिलेखों की संभावित जालसाजी के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि वन (संरक्षण) अधिनियम और वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए वन स्वीकृतियां प्राप्त की गईं। साथ ही, स्थानीय प्रशासन और प्रभावशाली वन माफिया की मिलीभगत से अनधिकृत सड़क निर्माण, अवैध खनन और लकड़ी की तस्करी को संरक्षण मिलने के भी आरोप हैं।

इस मुद्दे पर संबंधित एक लोकहित याचिका जून 2024 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है, जिसमें पर्यावरणीय संगठन “पहाड़ी समाज पर्यावरणी कवच” न्यायिक निगरानी की मांग कर रहा है।

याचिकाकर्ता का दावा है कि अब तक 17 किलोमीटर से अधिक अवैध सड़कों का निर्माण संरक्षित वन क्षेत्रों के भीतर किया गया है, जिसके लिए स्थानीय प्रशासनिक और पंचायत निधियों का दुरुपयोग हुआ है। शिकायतों के बावजूद राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा कार्रवाई न होने पर उन्होंने जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने की मांग की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला