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वाराणसी,29 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी के सील वजूखाने के ताले में लगे कपड़े बदलने की मांग वाली अर्जी पर बुधवार को जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश के लिए 10 नवंबर की तिथि तय की। सुनवाई के दौरान न्यायालय में वादी और प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी दलीले रखी।
वादी पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दिया कि जर्जर कपड़े को तुरंत बदला जाना चाहिए। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए इस मांग का विरोध किया। इसके पहले 24 अक्टूबर को अदालत में आपसी सहमति की बात हुई थी। अदालत ने प्रार्थना पत्र स्वीकार किया था। वादी हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि बुधवार को अदालत ने हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों से सहमति प्राप्त की और ताले पर लगे कपड़े को बदलने के संबंध में आदेश सुरक्षित रखा।
उन्होंने बताया कि पिछली सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट किया था कि चूंकि मामला वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए वह स्वयं कोई अंतिम आदेश नहीं दे सकती। अदालत ने कहा था कि अगर दोनों पक्ष सहमत हैं तो ताले पर लगे कपड़े को बदला जा सकता है। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग नुमा आकृति वाले एरिया को सिविल जज सीनियर डिवीजन तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 16/17-5-2022 को सील किया गया था। सील ताले पर बंधा कपड़ा समय के साथ जर्जर हो गया है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के उद्देश्य से हिंदू पक्ष ने इस वर्ष 08 अगस्त को याचिका दायर कर ताले पर लगे कपड़े को बदलने की अनुमति मांगी थी। विशेष शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने आठ अगस्त को सील करने में लगे कपड़े के जर्जर होने के कारण उसे बदलकर नए कपड़े से पुनः सील करने का प्रार्थना पत्र जिला जज की अदालत में प्रस्तुत किया था। इस प्रार्थना पत्र पर आपसी सहमति पर बात हुई थी। शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने उच्चाधिकारियों से वार्ता के लिए समय मांगा था।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी