सरकारी कोष से बने स्वास्थ मंदिर बंद3कंटेनर हुए कचरादान, विधायक केलकर
Health centre built with government funded are closed


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मुंबई,29 अक्टूबर ( हि.स.) । ठाणे नगर निगम ने अपने क्लीनिक बंद होने के बाद 43 आरोग्य मंदिर खोले हैं। आज, विधायक संजय केलकर के निरीक्षण के बाद बताया कि कि कोपरी के तीनों स्वास्थ मंदिर उद्घाटन के बाद से ही बंद थे और आसपास का इलाका गंदा था। यह ठाणे की जनता के साथ धोखा है और ठाणे के विधायक संजय केलकर ने चेतावनी दी कि जल्द ही एक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।

क्लीनिक बंद होने के बाद, विधायक संजय केलकर ने इसकी कड़ी आलोचना की और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जबकि ठाणे मनपा प्रशासन आयुक्त सौरभ राव ने केलकर को बताया कि इस ठेकेदार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है और उसे काली सूची में डाल दिया गया है। इस दौरान, आयुक्त ने बताया कि उनके क्लीनिक की जगह ठाणे शहर में 43 आरोग्य मंदिर खोले गए हैं। इस पृष्ठभूमि में, जब केलकर ने ठाणे पूर्व के मीठा बंदर रोड, धोबी घाट और बड़ा बंगला इलाकों में स्थित स्वास्थ्य मंदिरों का दौरा किया, तो पता चला कि ये स्वास्थ मंदिर बंद हैं। ये स्वास्थ्य मंदिर कंटेनरों में बंद हैं और उद्घाटन के रिबन लटके हुए हैं। उद्घाटन के बैनर भी दिखाई दे रहे हैं। ये मंदिर बंद हैं और इनके आसपास कचरे और कीचड़ का बुरा हाल है ।

इस बारे में बात करते हुए, ठाणे विधायक केलकर ने कहा, हमारी औषधालय व्यवस्था इसलिए बंद हो गई क्योंकि गलत लोगों को काम दिया गया था। अब आयुक्त का कहना है कि ठाणे में गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के लिए 43 स्वास्थ्य मंदिर शुरू किए गए हैं। इसके लिए नगर निगम को राज्य सरकार से धन भी मिला है। हालाँकि, वास्तव में ये स्वास्थ्य मंदिर बंद हैं। प्रशासन ने इस संबंध में जनप्रतिनिधियों को गलत जानकारी दी है और यह ठाणे की जनता के साथ घोर धोखा है, उनके स्वास्थ्य के साथ एक क्रूर मजाक है। बीजेपी नेता केलकर ने चेतावनी दी कि इसके खिलाफ जल्द ही एक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर भाजपा नगर उपाध्यक्ष महेश कदम, कृष्णा भुजबल, विशाल कदम, राजेश गाडे सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

इसी तरह यहाँ स्थित दो मंजिला प्रसूति अस्पताल के दूसरे तल पर स्थित एनआईसीयू सेक्शन में समय से पहले जन्मे शिशुओं की विशेष देखभाल के लिए 20 इन्क्यूबेटर हैं, लेकिन उद्घाटन के छह महीने बाद भी यह सेक्शन शुरू नहीं हो पाया है। अगर पहली मंजिल पर किसी शिशु को इन्क्यूबेटर की ज़रूरत होती है, तो उसे इसका लाभ नहीं मिल पाता, उसे सिविल अस्पताल या किसी निजी अस्पताल में भेजना पड़ता है। सिविल अस्पताल में यह सेक्शन हमेशा भरा रहता है, जबकि निजी अस्पताल का खर्च गरीब परिवारों के लिए वहन करने योग्य नहीं होता। ऐसे में प्रशासन का यह कहना कि टेंडर का कोई जवाब नहीं मिलने के कारण इस सेक्शन को बंद कर दिया गया है, हास्यास्पद और आक्रोशित करने वाला है, ।

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा