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पश्चिमी सिंहभूम, 29 अक्टूबर (हि.स.)। जिला मुख्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके सहयोगी खड़े रहे, जबकि विधायक सुखराम उरांव और उपायुक्त चंदन कुमार बैठे रहे और दोनों पक्षों के बीच बातचीत धीरे-धीरे बहस में बदल गई। दरअसल, नो-एंट्री व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, जिला मानकी मुंडा संघ और विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि उपायुक्त से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया के बीच माहौल अचानक गरमा गया।
मिली जानकारी के अनुसार, बातचीत के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों को लेकर की गई एक टिप्पणी पर मधु कोड़ा भड़क उठे। उन्होंने कहा कि नेता की बदौलत ही देश चलता है और नेताओं की वजह से ही अधिकारी अपनी कुर्सी पर बैठे हैं। मीडिया देश का चौथा स्तंभ है, उसके साथ गलत व्यवहार स्वीकार्य नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन को जनता की समस्याओं और मांगों को संवेदनशीलता से लेना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग किया कि पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए सभी ग्रामीणों को बिना शर्त रिहा किया जाए, अन्यथा आने वाले दिनों में पूरे झारखंड में व्यापक आंदोलन और बंद का आह्वान किया जाएगा।
वहीं, उपायुक्त चंदन कुमार की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। बताया जाता है कि चाईबासा शहर में भारी वाहनों के आवागमन के कारण लगातार जाम और दुर्घटनाओं की स्थिति बनी रहती है, जिसके चलते स्थानीय लोग और संगठन नो-एंट्री व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं।
उधर, तांबो चौक में 27 अक्टूबर को हुए पुलिस-ग्रामीण टकराव का मामला अब पूरे कोल्हान क्षेत्र में उबाल पर है। इसी मुद्दे को लेकर बुधवार को कोल्हान बंद का व्यापक असर देखा गया। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ चंपिया, आदिवासी हो महासभा, जिला मुंडा मानकी संघ सहित कई संगठनों के प्रतिनिधि उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और तांबो चौक क्षेत्र में नो-एंट्री लागू करने, गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई और घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग वाला ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौंपने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत के दौरान तनावपूर्ण माहौल बन गया, लेकिन बाद में स्थिति को संभाल लिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक