विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर एम्स गोरखपुर में दी गई स्ट्रोक की पहचान व उपचार की जानकारी
विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर एम्स गोरखपुर में दी गई स्ट्रोक की पहचान व उपचार की जानकारी


गोरखपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। एम्स गोरखपुर में विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर एक जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम का उद्देश्य समान्य जनता को स्ट्रोक ( लकवा ) को समय से पहचानने एवं उपलब्ध उपचारों से अवगत कराना था | कार्यक्रम के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान छात्रों को शुरुआती वर्षों से स्ट्रोक संबंधी ज्ञान एवं स्वास्थ्य कर्मियों को अब उपलब्ध उन्नत उपचार विकल्पों से अवगत कराना भी था। आयोजन न्यूरोलोजी विभाग एम्स गोरखपुर में किया गया।

न्यूरोलोजी विभाग की तरफ से डा आशुतोष तिवारी ने मुख्य अतिथि मेजर जनरल (सेवानिवृत) डॉक्टर विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक एम्स गोरखपुर का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की शुरूआत उनके आख्यान से प्रारम्भ करने का निवेदन किया |

मुख्य अतिथि ने बताया कि पक्षाघात, लकवा फालिस या स्ट्रोक, भिन्न भिन्न नामों से जाने जाने वाली यह बीमारी ब्रेन अटैक होती हैं | ब्रेन अटैक में दर्द नहीं होने के कारण मरीज़ या परिजन हॉस्पिटल पहुचने में देर कर देते अतः इलाज के बाद भी परिणाम उतना अच्छा नहीं मिलता | इसी कारण से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। “

कार्यक्रम के दौरान निदेशिका ने मरीजों एंव परिजनों से भी बात किया | कार्यक्रम के अगले भाग में तंत्रिका-विज्ञान के इंचार्ज डा आशुतोष तिवारी ने डीन ऐकडेमिक डा महिमा मित्तल , मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा अजय भारती, डा अजय कुमार मिश्रा, डा सौरभ केडिया , डा मनोज पृथ्वीराज , डा आशुतोष त्रिपाठी , डॉ अभिमन्यु एवं डॉ सार्थक को स्ट्रोक मरीजों एंव परिजनों के लिए उपयोगी विशेषज्ञ विचारों को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया । जनजागरूकता कार्यक्रम का समापन डा आशुतोष तिवारी ने मुख्य अतिथि एंव विशेषज्ञो का धन्यवाद ज्ञापन कर किया | विश्व स्ट्रोक दिवस पर आयोजित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में डा अजय मिश्रा, डा अतुल, एवं डा अभिमन्यु जज रहे | प्रश्नोत्तरी का संपादन डा आशुतोष तिवारी, डा हर्षित, डा आर्या, डा आस्था ने किया | पोस्टर प्रतियोगिता में एमबीबीएस के छात्रों ने भाग लिया | कार्यक्रम के आयोजन में खुशबू , विनय सुनिता ने योगदान किया |

लकवा कैसे होता है

मष्तिष्क को खून पहुचाने वाली नसों में थक्का जमने या नस के फटने से लकवा होता है |

लकवा के लक्षण क्या होते हैं

अचानक चेहरे का टेढ़ा होना, एक तरफ के हाथ पैर में कमजोरी आना, अचानक शरीर का नियंत्रण खोना या ऑख की पुतली का तिरछा हो जाना लकवे के लक्षण हो सकते हैं | अचानक बेहोशी व बहुत तेज सिर दर्द भी लकवा का लक्षण हो सकता है ।

लकवे कितने प्रकार के होते हैं

लकवे दो प्रकार के होते हैं |

1. इन्फ़ार्क्ट ( थक्का जमने के कारण)

2. हेमरेज ( खून के बहने कारण)

लकवे के इलाज में समय का क्या महत्व है

लकवे के इलाज का फायदा उपचार प्राप्ति के समय पर बहुत ज्यादा निर्भर करता | खून की नली में थक्का जमने से होने वाले लकवे में शुरू में 4.5 घंटे में थक्के को दवा से गलाया जा सकता है | उसके बाद आने वाले मरीजों का भी इलाज उपलब्ध है |

लकवे से कैसे बचा जा सकता है

लकवे से बचने के निम्न उपाय है

1. शारीरिक रूप से सक्रिय रहना या नियमित व्यायाम करना

2. ब्लड प्रेशर की दवा नियमित लेना

3. ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें

4. मदिरा का सेवन नहीं करना

5. धूम्रपान का सेवन नहीं करना

6. ⁠मोटापे से बचना ।

एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ विभा दत्ता ने कहा “ स्ट्रोक के लक्षण होने पर झाड़ फूंक और अवैज्ञानिक अफ़वाहों में शुरुआती सुनहरा समय ना गवाएँ । जल्द से जल्द अस्पताल पहुँच कर इलाज शुरू कराएँ ।”

एम्स गोरखपुर के न्यूरोलॉजी विभाग इंचार्ज डॉ आशुतोष तिवारी ने कहा “ विगत वर्षों में चिकित्सा विज्ञान की निरंतर उन्नति के परिणाम स्वरूप लकवा के उपचार की कई नई विधियाँ अब उपलब्ध हैं । इन विधियों से होने वाले लाभ को प्राप्त करने के लिए समय से अस्पताल पहुँचना आवश्यक है ।”

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय