सीआरपीएफ कैंप पर हमले के आरोपितों को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, फांसी की सजा रद्द
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


--जांच में कमी तथा अभियोजन की विफलता के कारण सजा रद्द हुई

--जांच में चूक के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करने की छूट

प्रयागराज, 29 अक्टूबर (हि.स.)। यूपी के रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर 31 दिसम्बर 2007 को हुए हमले के आरोपितों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट‌ ने हमले के आरोपितों की फांसी की सजा रद्द कर दी है।

एडिशनल सेशंस जज रामपुर ने चार आरोपितों को 2 नवम्बर 2019 को फांसी की सज़ा सुनाई थी। हमले के चार आरोपितों मोहम्मद शरीफ उर्फ सुहैल उर्फ साजिद, सबाउद्दीन, इमरान शहजाद और मोहम्मद फारूख को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि जंग बहादुर खान उर्फ बाबा खान को उम्रकैद की सजा दी गई थी।

हाईकोर्ट ने अपने 185 पेज के वृहद फैसले में आरोपितों को मिली फांसी की सजा को रद्द करते हुए कहा कि यह आदेश जांच में कमी तथा अभियोजन द्वारा संदेह से परे केस को साबित करने में विफलता के कारण दिया गया है। यही कारण रहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को छूट दी है कि वह जांच में चूक करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे।

सीआरपीएफ कैंप पर हमले के मामले में कोर्ट ने मोहम्मद कौसर और गुलाब खान को बरी कर दिया था। कोर्ट ने आतंकियों की अपील पर बहस पूरी होने के बाद 4 सितम्बर 2025 फैसला सुरक्षित कर लिया था। रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में सात जवान शहीद हो गए थे और एक रिक्शा चालक मारा गया था। आतंकियों ने एक -47 और ग्रेनेड से कैंप पर हमला किया था।

18 मई 2025 को साजिश कर्ता सैफुल्लाह को पाकिस्तान में मार दिया गया था। इस मामले में सेशन कोर्ट में 38 गवाहों की गवाही कराई गई थी। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने आज इस मामले में अपना सुनाया फैसला।

सीआरपीएफ कैंप पर हमले के मामले में कोर्ट ने मोहम्मद कौसर और गुलाब खान को बरी कर दिया था। कोर्ट ने आतंकियों की अपील पर बहस पूरी होने के बाद 4 सितम्बर 2025 फैसला सुरक्षित कर लिया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे