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- मुख्यमंत्री ने किया ‘मुख्यमंत्री लोक सेवक आरोग्य योजना’ के तहत कैशलेस उपचार सुविधा का शुभारंभ
- स्वास्थ्य कार्डों का वितरण
- सरकार शीघ्र ही वेतन आयोग का गठन करेगीः मुख्यमंत्री
गुवाहाटी, 29 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरम ने आज जनता भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में आयुष्मान असम मुख्यमंत्री लोक सेवक आरोग्य योजना (एए-एमएमएलएसएवाई) के अंतर्गत कैशलेस उपचार सुविधा की शुरुआत की। इस पहल से राज्य सरकार के कर्मचारी, पेंशनधारी और उनके आश्रित बिना अग्रिम भुगतान के देशभर के चयनित अस्पतालों में इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने योजना के तहत स्वास्थ्य कार्डों का वितरण किया तथा योजना का डिजिटल न्यूज़लेटर भी जारी किया। स्वास्थ्य कार्ड अब कैशलेस इलाज और प्रतिपूर्ति दोनों के लिए उपयोगी होंगे।
डॉ. सरमा ने कहा कि यह योजना 2 अक्टूबर 2023 को शुरू की गई थी ताकि चिकित्सा प्रतिपूर्ति की जटिल और लंबी प्रक्रिया को समाप्त किया जा सके। पहले कर्मचारियों और पेंशनधारियों को अपने खर्चे से इलाज कराना पड़ता था और वर्षों तक प्रतिपूर्ति के लिए इंतजार करना पड़ता था, जिससे असुविधा और भ्रष्टाचार जैसी स्थितियां पैदा होती थीं।
उन्होंने कहा कि अब कर्मचारियों और पेंशनरों को पहले इलाज और बाद में भुगतान की चिंता से मुक्ति मिलेगी। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि इस संक्रमण काल में किसी को असुविधा न हो, इसलिए पुरानी प्रतिपूर्ति प्रणाली भी फिलहाल जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 2,23,826 कर्मचारी और 6,172 पेंशनधारी इस योजना में पंजीकृत हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिपूर्ति निर्धारित दरों के अनुसार की जाती है और केंद्र सरकार द्वारा दरें संशोधित किए जाने पर असम सरकार तुरंत नई दरें अपनाती है, जिससे राज्य और केंद्र के कर्मचारियों को समान स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
उन्होंने जानकारी दी कि पहले चरण में यह कैशलेस सुविधा असम के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों, असम कैंसर केयर फाउंडेशन के सभी अस्पतालों, डॉ. बी. बरुवा कैंसर संस्थान, सीएन सेंटर, जीएमसीएच एनेक्स, मेदांता-द मेडिसिटी (गुड़गांव), जीएनआरसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, डाउनटाउन हॉस्पिटल, मैक्स हेल्थकेयर हॉस्पिटल और श्री शंकरदेव नेत्रालय (गुवाहाटी) में उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि एम्स गुवाहाटी, फोर्टिस, नारायणा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (नई दिल्ली) तथा देश के अन्य अग्रणी अस्पतालों को इस प्रणाली में शामिल करने के लिए बातचीत चल रही है।
उन्होंने कहा कि यह योजना आत्मनिर्भर है क्योंकि इसे कर्मचारियों के अंशदान से संचालित किया जा रहा है, न कि सरकारी फंड से। योजना शुरू होने के बाद अब तक 65 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की जा चुकी है, जबकि पहले वार्षिक खर्च 17-18 करोड़ रुपये के आसपास था।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राज्य के तीन बिजली कंपनियों सहित अन्य राज्यकर्मी भी इस योजना के दायरे में लाए गए हैं। अनुमान है कि आने वाले समय में लाभार्थियों की संख्या 7 से 8 लाख तक पहुंचाया जाएगा।
अंत में उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार शीघ्र ही अपना ‘वेतन आयोग’ गठित करेगी, जिससे राज्य कर्मचारियों को केंद्र सरकार की तरह समान तिथि से वेतन लाभ मिल सकेंगे।
इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा, जीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ. अच्युत कुमार बैश्य, जीएनआरसी के चेयरमैन डॉ. नोमल चंद्र बोरा, श्री शंकरदेव नेत्रालय के अध्यक्ष डॉ. हर्ष भट्टाचार्य समेत कई वरिष्ठ अधिकारी, अस्पताल प्रतिनिधि और राज्य कर्मचारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश