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रायपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। भारतमाला परियोजना के भूमि अधिग्रहण में मुआवजा वितरण के दौरान हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में एक महिला सहित तीन पटवारियों को एसीबी–ईओडब्ल्यू की टीम ने आज गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों में तत्कालीन पटवारी दिनेश पटेल (नायकबांधा), लेखराम देवांगन (टोकरो) और बसंती घृतलहरे (भेलवाडीह) शामिल हैं। यह कार्रवाई ब्यूरो में दर्ज अपराध के तहत की गई है।
गिरफ्तार आरोपितों पर आरोप है कि वर्ष 2020 से 2024 के बीच शासन द्वारा अर्जित भूमि को पुनः शासन को विक्रय कर मुआवजा देने, बैक डेट में बंटवारा और नामांतरण करना, भूमि स्वामी के बदले किसी अन्य को मुआवजा देने एवं निजी भूमि के गलत मुआवजा तथा उसके टुकड़े कर उपखण्डों में विभाजित कर मुआवजा राशि हड़प कर शासन के साथ छल करते हुए धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। मामले में एसीबी में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक – 30 / 2025, धारा – 7 सी, 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथासंशोधित भ्र.नि. (संशोधन) अधिनियम 2018 एवं धारा 409, 467, 468, 471, 420, 120बी भादवि के तहत कार्रवाई की जा रही है । इसके पहले उच्च न्यायालय ने इनकी गिरफ्तारी में रोक लगाई थी। 28 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के गिरफ्तारी से रोक हटाने जाने के पश्चात् इन्हें गिरफ्तार किया गया है।
उल्लेखनीय है कि रायपुर-विशाखापट्नम इकॉनामिक कॉरिडोर भू-अर्जन मुआवजा घोटाले में शासन द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। रायपुर विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बड़ी पर एनएचएआई के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी। एनएचएआई की आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया था और मुआवजा वितरण रोका गया था। इस प्रकरण को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने गंभीर प्रश्न उठाये थे और सीबीआई जांच की मांग की गई थी।फिलहाल मामले में एसीबी–ईओडब्ल्यू जांच कर रही है ।
एसीबी–ईओडब्ल्यू जांच एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गिरफ्तार आरोपितों ने भू-माफियाओं और कुछ निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर भूमि का बैक डेट में बंटवारा और नामांतरण, कूटरचित दस्तावेजों की तैयारी, तथा शासन द्वारा अधिग्रहीत भूमि को पुनः शासन को विक्रय कर मुआवजा प्राप्त करने जैसी धोखाधड़ी की। इसके अलावा कई मामलों में भूमि स्वामी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को मुआवजा दिलाने और निजी भूमि को गलत तरीके से अधिग्रहीत दिखाकर टुकड़ों में बांटकर भुगतान लेने के भी प्रमाण मिले हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा