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शिमला, 23 अक्टूबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री समेत प्रदेश सरकार के सभी मंत्री पंचायत चुनावों को लेकर जनता और हितधारकों को गुमराह कर रहे हैं। ठाकुर ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में चुनाव समय पर करवाना चाहती है, तो अब तक पंचायतों का आरक्षण रोस्टर जारी हो जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेशों के अनुसार पंचायत और नगर निकाय चुनावों के लिए आरक्षण रोस्टर चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से कम से कम 90 दिन पहले जारी किया जाना अनिवार्य है ताकि लोगों को आपत्ति दर्ज कराने और न्यायालय में अपील करने का अवसर मिल सके। ठाकुर ने कहा कि अगर 25 सितंबर तक आरक्षण रोस्टर जारी हो जाता तो चुनाव अपने तय समय पर संभव होते, लेकिन अब तक सरकार की ओर से दिखाई गई सभी गतिविधियां चुनाव टालने की दिशा में ही जा रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि पंचायती राज विभाग के सचिव ने 15 सितंबर को सभी जिला उपायुक्तों को 25 सितंबर तक आरक्षण रोस्टर जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन किसी भी जिले में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। इसके उलट, डीसी ने चुनाव टालने के लिए सरकार को पत्र लिखा और मुख्य सचिव ने उस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए चुनाव स्थगन से संबंधित पत्र जारी कर दिया।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरक्षण रोस्टर ही समय पर नहीं आएगा तो समय पर चुनाव कैसे संभव होंगे? ठाकुर ने चेतावनी दी कि सरकार यदि “मनीष धर्मेक बनाम हिमाचल स्टेट” मामले में हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना करती है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आघात होगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने की बजाय सच बताएं। अगर सरकार चुनाव करवाना चाहती है, तो न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए तुरंत आरक्षण रोस्टर जारी करे और चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ करे। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा तंत्र इस समय चुनाव कराने की बजाय चुनाव रोकने में व्यस्त है।
ठाकुर ने आरोप लगाया कि नगर निगम चुनावों को टालने के लिए सरकार पहले अध्यादेश लाई और बाद में विधानसभा में कानून बनाकर संविधान की मर्यादा को ठेस पहुंचाई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए जनता को सच्चाई बतानी चाहिए और पंचायत चुनाव जल्द से जल्द करवाने की दिशा में ईमानदारी से कदम उठाने चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला