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मुंबई,23 अक्टूबर ( हि.स.) । अस्पताल सिर्फ़ इलाज की जगह नहीं, बल्कि आशा की किरण और जीवन रक्षक विश्वास भी होता है, यह वाक्य शाहपुर उप-जिला अस्पताल में हाल ही में हुई एक घटना से सिद्ध हुआ। डॉक्टरों की तत्परता और कुशलता के कारण एक युवक की जोखिम भरी अपेंडेक्टोमी सर्जरी की गई और उसे जीवनदान मिला।
ठाणे के प्रशांत सिनकर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नासिक के सपगाँव स्थित त्र्यंबकेश्वर निवासी 25 वर्षीय ज्ञानेश्वर दिवे को अचानक पेट में तेज़ दर्द होने लगा। पेट दर्द की दवा लेने के बाद उन्हें कुछ आराम मिला। लेकिन दो दिन बाद ही समस्या फिर से बढ़ गई। दर्द इतना तेज़ था कि परिवार के सदस्यों को मरीज़ की जान का डर सताने लगा। उन्होंने तुरंत ज्ञानेश्वर को 13 अक्टूबर को शाहपुर के उप-ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया।
प्रारंभिक जाँच में, डॉक्टरों ने पाया कि ज्ञानेश्वर का अपेंडिक्स सूज गया है और फटने की स्थिति में है, यानी अपेंडिसाइटिस, अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में, अपेंडेक्टोमी, यानी अपेंडिक्स निकालने की सर्जरी, तत्काल आवश्यक है, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गजेंद्र पवार ने बताया।
ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार के मार्गदर्शन में, शल्य चिकित्सक डॉ. स्वप्नाली गुलेगांव और उनकी टीम ने इस जोखिम भरी सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। और मरीज़ की हालत में कुछ ही घंटों में सुधार हुआ। इसने ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पताल में समय पर और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा उपलब्ध होने का एक ठोस उदाहरण पेश किया है।
ज्ञानेश्वर दिवे के परिवार ने कहा, हम उन्हें ठाणे या मुंबई ले जाने की सोच रहे थे, लेकिन यहाँ के डॉक्टरों ने जो विश्वास दिखाया और बताया, उसे देखकर सरकारी अस्पताल पर हमारा विश्वास दोगुना हो गया।
शाहपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्र में इतनी पेंचीदा सर्जरी के बारे में जब ठाणे जिला सिविल अस्पताल के अधीक्षक और सर्जन डॉ कैलाश पवार से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन को सी चुनौती से कम नहीं था,समय पर निर्णय लेना मरीज़ के जीवन के लिए बहुत ज़रूरी था। हमारी टीम ने मिलकर सर्जरी को सफल बनाया और मरीज़ के चेहरे पर फिर से मुस्कान देखकर हमें बहुत खुशी और संतुष्टि हो रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा