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रांची, 23 अक्टूबर (हि.स.)। चार दिवसीय छठ महापर्व 25 अक्टूबर, दिन शनिवार को नहाय-खाय सह कद्दू भात से शुरू हो जाएगा। खरना पूजन 26 अक्टूबर, दिन रविवार को होगा। 26 अक्टूबर को शाम में छठ पर्व का खरना पूजन होगा। इसके पश्चात छठ व्रतियों की ओर से खीर और राेटी (पुरी) खाने के बाद कार्तिक छठ के समापन-पारण होने तक करीब 36 घंटे तक का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।
वहीं 27 अक्टूबर, सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया जाएगा। 28 अक्टूबर, मंगलवार को प्रात: बेला में उदीयमान आदित्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। इसके बाद इस छठ पर्व का पारण-समापन हो जाएगा।
छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान से पहले ही छठ व्रतियों की ओर से महापर्व छठ व्रत का प्रसाद बनाने के लिए गेहूं और अरवा चावल को अच्छे से धोकर एवं साफ कर घर की आंगन तथा छतों पर धूप में बैठकर सुखाया जा रहा है। छठ महापर्व में नियम, निष्ठा, विधि विधान के साथ साथ स्वच्छता एवं साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है।छठ घाटों की साफ-सफाई अंतिम चरण मेंरांची के विभिन्न छठ घाटों बडा तालाब, बटन तालाब, हटनिया तालाब, जोडा तालाब, करमटोली तालाब, अरगोडा तालाब, धुर्वा स्थित जगरन्नााथपुर तालाब, धुर्वा डैम, गेतलसूद डैम, कांके डैम, तिरिल सहित विभिन्न जल स्रातों की साफ-सफाई का काम अंतिम चरण में है। साथ ही छठ घाटों के निर्माण और यहां पर पर्याप्त रौशनी सहित अन्य सुविधा बहाल करने के लिए प्रशासन और नगर निगम की टीम काम कर रही है। साथ ही इसमें विभिन्न समाजिक संगठनों की ओर से भी मदद की जा रही है।
क्यों मनाते हैं महापर्व छठ आचार्य काैशल किशोर शर्मा ने गुरुवार को बताया कि छठ पर्व सृष्टि में उर्जा के सबसे बडे स्रोत भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। वहीं छठी मईया को भगवान सूर्य की बहना माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब किसी नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह माह तक छठी मईया उक्त बच्चे के पास रहती हैं और बच्चे की रक्षा करती हैं। इसके अलावा छठ महापर्व को लेकर हमारे धर्मग्रंथों में भी कई कथाओं का वर्णन है। इन कथाओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने भी माता सीता के साथ छठ व्रत किया था। उन्होंने माता सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास खत्म कर आयोध्या लौटने और रावण का वध करने पर सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने के लिए महापर्व छठ किया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak