राष्ट्रीय पोषण माह 2025 में राजस्थान को मिला दूसरा स्थान
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जयपुर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान ने एक बार फिर अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। राष्ट्रीय पोषण माह 2025 में प्रदेश ने देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के निरंतर प्रयासों और सशक्त कार्यनीति के परिणामस्वरूप यह सफलता संभव हुई है। उपमुख्यमंत्री एवं महिला एवं बाल विकास मंत्री दीया कुमारी ने इस उपलब्धि पर विभाग के अधिकारियों, जिला प्रशासन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को बधाई दी है।

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि राजस्थान के सामूहिक समर्पण और मेहनत का प्रमाण है, जो “सुपोषित भारत, स्वस्थ भारत” के लक्ष्य की दिशा में एक सशक्त कदम है।

पिछले वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह 2024 में चौथा स्थान प्राप्त करने वाले राजस्थान ने इस बार अपने प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार किया है। 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मनाए गए राष्ट्रीय पोषण माह 2025 में गुजरात ने 115.74 प्रतिशत उपलब्धि के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि राजस्थान ने 114.12 प्रतिशत के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। छत्तीसगढ़ 108.30 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

महिला एवं बाल विकास शासन सचिव महेन्द्र सोनी ने बताया कि उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी के निर्देशन में तैयार की गई प्रभावी रणनीति, जिला प्रशासन के समन्वय और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लगन ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। उन्होंने बताया कि इस माह के लिए राजस्थान को 81,01,730 लक्ष्यों का निर्धारण किया गया था, जिनके मुकाबले 88,93,346 उपलब्धियाँ हासिल की गईं। इस प्रकार राज्य ने अपने लक्ष्य से कहीं अधिक कार्य करते हुए 114.12 प्रतिशत की सफलता दर प्राप्त की। प्रदेश के 41 जिलों और 62,321 आंगनबाड़ी केंद्रों ने इस माह को जन-जन तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।

राज्य के विभिन्न जिलों ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। जोधपुर ने 134.98 प्रतिशत की उपलब्धि दर के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि कोटा, बीकानेर, चूरू और हनुमानगढ़ जैसे जिलों ने भी अपने लक्ष्यों से अधिक उपलब्धियाँ दर्ज कर सामुदायिक सहभागिता का उदाहरण प्रस्तुत किया। इन जिलों ने जनजागरण, नवाचार और सहभागिता के माध्यम से पोषण माह को जन आंदोलन का रूप दिया।

आईसीडीएस निदेशक वासुदेव मालावत ने बताया कि इस अवसर पर राज्यभर में पोषण से जुड़ी अनेक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पौष्टिक आहार वितरण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परामर्श, गृह भ्रमण और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन सबका उद्देश्य राज्य को कुपोषण मुक्त बनाना और हर नागरिक तक पोषण का संदेश पहुँचाना था। सरकार ने इस अभियान के दौरान ‘वोकल फॉर लोकल’ के सिद्धांत को भी आगे बढ़ाया। राज्य के विभिन्न जिलों में स्थानीय स्तर पर तैयार पौष्टिक खाद्य सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। साथ ही, योजनाओं के डिजिटलीकरण और पारदर्शी क्रियान्वयन पर भी विशेष बल दिया गया, ताकि हर लाभार्थी तक सुविधाएँ सुचारू रूप से पहुँच सकें।

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि राजस्थान ने हमेशा से महिला और बाल विकास के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। यह सफलता राज्य के हर उस व्यक्ति की है, जिसने पोषण को एक जन आंदोलन बनाने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि राजस्थान का लक्ष्य केवल पुरस्कार प्राप्त करना नहीं, बल्कि हर घर तक पोषण का संदेश पहुँचाना है। हमारा संकल्प है कि आने वाले समय में राजस्थान पूरी तरह कुपोषण मुक्त राज्य बने और देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करे।

इस उपलब्धि के साथ राजस्थान ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति, जमीनी प्रयास और सामुदायिक भागीदारी एक साथ आती है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित