(अपडेट) अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले के रेतीले धोरों में बढ़ी चहल-पहल, पशुओं की खरीद-फरोख्त शुक्रवार से शुरू
अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले के रेतीले धोरों में बढ़ी चहल-पहल, पशुओं की खरीद-फरोख्त आज से शुरू


अजमेर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला पशुपालन विभाग की ओर से प्रारंभ हो गया है। अब तक लगभग दो सौ से अधिक पशुओं के पहुंचने का अनुमान है और पशुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है।

पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक व मेला अधिकारी डा. सुनील घीया ने बताया कि शुक्रवार 24 अक्टूबर से पशुओं की खरीद-फरोख्त प्रारंभ होगी, जिसके लिए पुष्कर के विभिन्न मार्गों पर 12 चौकियां स्थापित की जा रही हैं।

इस बार पहली बार ऑनलाइन प्लॉट आवंटन प्रणाली लागू की गई है, जिसके तहत 417 पशुपालकों को ऑनलाइन प्लॉट आवंटित किए गए हैं।

रेतीले धोरों में अब रौनक बढ़ने लगी है। ऊंटों और अश्वों के आवागमन की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं मेलार्थियों और व्यवसायियों ने भी अपने-अपने प्रबंधों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। राज्य पशु ऊंटों की आमद बढ़ गई है। ऊंटपालक अपने ऊंटों को लेकर मेला क्षेत्र पहुंचने लगे हैं। वहीं कई विदेशी पर्यटक कैमल सफारी का आनंद ले रहे हैं। पशु मेले में ऊंटों की सबसे अधिक संख्या देखने को मिलती है।पुष्कर का यह अंतरराष्ट्रीय पशु मेला 7 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान पशुपालन विभाग की ओर से पशु प्रतियोगिताएं, वहीं पर्यटन विभाग की ओर से देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। देवस्थान विभाग, प्रशासन और पुलिस भी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मेला क्षेत्र में खाने-पीने, खरीददारी और मनोरंजन के लिए अस्थाई दुकानें सजने लगी हैं।

मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए दूर-दूर से आए झूले, चकरी और सर्कस संचालक मेला मैदान में अपने-अपने स्थानों पर तैयारी कर रहे हैं। कई गगनचुंबी झूले पूर्ण आकार ले चुके हैं, जिससे मेला क्षेत्र की रौनक और बढ़ गई है।

रेतीले धोरों में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी है। पर्यटक ऊंटों के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं और कैमल सफारी का आनंद ले रहे हैं। उधर पशुपालक अपने अस्थाई तंबुओं में ठहराव और खान-पान की व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे मेला क्षेत्र जीवंत हो उठा है।

पिछले कुछ वर्षों में पुष्कर मेले में अश्व व्यापार में तेजी आई है। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों से अश्वपालक यहां पहुंचने लगे हैं। मेला क्षेत्र में उनके अस्तबल और आलीशान टेंट तैयार हो रहे हैं, जहां एक-एक अश्व की कीमत लाखों रुपये तक लगती है।

विस्‍तृृत कार्यक्रम

30 अक्टूबर को मेला स्टेडियम में ध्वजारोहण के साथ पशु एवं खेलकूद प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ होंगे।

30 अक्टूबर: सफेद चिट्टी

31 अक्टूबर: रवन्ना काटना

2 नवंबर: विकास एवं गीर प्रदर्शनी उद्घाटन

2 से 4 नवंबर: विभिन्न प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम

5 नवंबर: पुरस्कार वितरण समारोह

7 नवंबर: पशु मेला संपन्न

दो नवंबर (कार्तिक एकादशी) से धार्मिक मेले की शुरुआत होगी और 5 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा) को सरोवर में होने वाले महास्नान के साथ मेला संपन्न होगा। इस बार एक तिथि कम होने से धार्मिक मेला चार दिन का रहेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष