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बीकानेर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। बीकानेर के पूर्व राजघराने का संपत्ति विवाद बुआ राज्यश्री कुमारी (पूर्व महाराजा करणी सिंह की बेटी) और उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी (बीजेपी विधायक, बीकानेर पूर्व) के बीच लंबे समय से चल रहा है। यह विवाद महाराजा करणी सिंह (1988 में निधन) और राजमाता सुशीला कुमारी (2023 में निधन) की वसीयत से जुड़ा है, जिसमें जूनागढ़ किला, लालगढ़ पैलेस, करणी भवन और पांच ट्रस्टों (महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट, महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, करणी सिंह फाउंडेशन, करणी चैरिटेबल ट्रस्ट, महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट) की संपत्तियों का प्रबंधन शामिल है। हालिया कोर्ट और देवस्थान विभाग के फैसलों ने राज्यश्री कुमारी को मजबूती दी है, जबकि सिद्धि कुमारी को ट्रस्टी पद और संपत्ति नियंत्रण में नुकसान हुआ है।
राज्यश्री की याचिका के तहत राज्यश्री ने जवाब में अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Injunction) के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें कहा गया कि सिद्धि कुमारी अवैध रूप से संपत्तियों को हड़पने और प्रशासन में बाधा डाल रही हैं।
एडीजे-3, बीकानेर धनपत माली ने राज्यश्री के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि राज्यश्री वसीयत के अनुसार एकमात्र जीवित प्रशासक हैं और संपत्तियों का नियंत्रण उनके पास है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को वसीयत में उल्लिखित चल-अचल संपत्तियों को खुरद-बुर्द, बिक्री, हस्तांतरण या गिरवी रखने से रोक दिया (आदेश 39, नियम 1 और 2, धारा 151 CPC के तहत)। यह आदेश मूल वाद के निस्तारण तक लागू रहेगा।
प्राइवेट सैक्रेट्री गाेविंद सिंह की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्यश्री कुमारी के प्रार्थना पत्र पर माननीय न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की विस्तृत बहस सुनने व पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि हस्तगत प्रकरण निस्तारण के लिए न्यायालय द्वारा विचार करके सभी बिंदुओं को राज्यश्रीकुमारी के पक्ष में होना निश्चित पाया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव