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जयपुर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने ड्रग तस्करों की ओर से शिक्षित और संपन्न परिवार के युवाओं के जरिए ड्रग कूरियर पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि ड्रग सिंडिकेट अब शिक्षित संपन्न परिवार के शिक्षित युवाओं के जरिए मादक पदार्थो की तस्करी करा रहे हैं। आम तौर पर ऐसे युवाओं पर प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से शक करने की संभावना कम होती है, जिससे वे ड्रग सिंडिकेट की नजर में आदर्श ड्रग कूरियर बन जाते हैं। इसके साथ ही अदालत ने मामले में 18 किलोग्राम मादक पदार्थ हाइड्रोपोनिक वीड के साथ जयपुर एयरपोर्ट पर पकडे गए करण मेहरा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि ड्रग सिंडिकेट ऐसे युवाओं से जानबूझकर वाणिज्यिक मात्रा से थोडी कम मात्रा में मादक पदार्थ की तस्करी कराते हैं, ताकि उन पर एनडीपीएस एक्ट के कठोर प्रावधान लागू नहीं हो सके। जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने अपने आदेश में कहा कि ड्रग माफिया ऐसे युवाओं की नासमझी और जल्दी धन कमाने की चाहत का फायदा उठाते हैं, जिससे युवाओं को न केवल इसकी लत लगती है, बल्कि वे एक बडे आपराधिक तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं।
जमानत याचिका में कहा गया कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार जब्त किया गया नमूना गांजा का है और वह याचिकाकर्ता से वाणिज्यिक मात्रा से कम मात्रा में बरामद हुआ है। इसके अलावा प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुका है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। जिसका विरोध करते हुए केन्द्र सरकार के वकील सीएस सिन्हा ने कहा कि बरामद ड्रग सामान्य गांजा न होकर अत्यधिक खतरनाक हाइड्रोपोनिक वीड है। जिसे विदेशों में विशेष परिस्थितियों में उगाया जाता है। इसकी बाजार में कीमत करीब 18 करोड रुपए है। ऐसे में आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक