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जोधपुर, 23 अक्टूबर (हि.स.)। रबी सीजन की दस्तक के साथ अब खेतों में फिर हल चलने की तैयारी है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने किसानों को रबी फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू करने की सलाह दी है।
काजरी के मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एचएम मीणा ने बताया कि वर्तमान में जोधपुर, पाली, बाड़मेर और जालोर जिलों में न्यूनतम तापमान में 1 से 1.5 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अभी अधिकतम तापमान करीब 30 डिग्री के आसपास बना हुआ है और आने वाले एक सप्ताह तक मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। ऐसे में खेतों में नमी बनाए रखना और बीज की तैयारी करने का यह सही समय है। डॉ. मीणा के मुताबिक, दीपावली के बाद से सरसों की बुवाई शुरू की जा सकती है। नवंबर के दूसरे सप्ताह से जीरे की बुवाई का उपयुक्त समय रहेगा। उन्होंने किसानों को सरसों, चना, जीरा और मेथी जैसी प्रमुख रबी फसलों के उन्नत किस्म के बीज खरीदने और बीज उपचार की तैयारी करने की भी सलाह दी है। उन्होंने कहा कि शुष्क मौसम फसल की शुरुआती वृद्धि के लिए बेहतर माना जाता है, इसलिए किसानों को खेतों की मिट्टी की हल्की जुताई कर मिट्टी में नमी बनाए रखनी चाहिए। रबी फसलों की शुरुआती बुवाई में नमी सबसे अहम भूमिका निभाती है।
नवंबर के पहले से दूसरे पखवाड़े तक का समय सबसे अनुकूल
काजरी की ओर से जारी सुझाव में बताया गया है कि चने की बुवाई के लिए नवंबर के पहले से दूसरे पखवाड़े तक का समय सबसे अनुकूल रहेगा। वहीं मेथी और जीरे की बुवाई रात के तापमान में गिरावट के बाद ज्यादा फायदेमंद होती है। डॉ. मीणा ने किसानों को यह भी सुझाव दिया कि बीज बुवाई से पहले खेतों में खरपतवार नियंत्रण और खेत समतलीकरण का ध्यान रखना चाहिए, जिससे शुरुआती सिंचाई सही ढंग से हो सके। अब जब मानसून पूरी तरह समाप्त हो चुका है और तापमान स्थिरता की ओर है, ऐसे में जोधपुर और आसपास के जिलों के किसान रबी की तैयारी में जुट सकते हैं।
बाजरा, मूंग, तिल की फसल थ्रेसिंग से पहले धूप में सुखाएं
मीणा के अनुसार अगले कुछ दिन मौसम साफ और शुष्क रहने की संभावना है। बाजरा, मूंग, तिल की फसल थ्रेसिंग से पहले अच्छी तरह धूप में सुखाएं। इससे गुणवत्ता बेहतर रहेगी। रबी फसल की बुवाई से पहले खेत में 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर जरूर डालें। इससे मिट्टी की भौतिक और जैविक गुणवत्ता बढ़ती है और जल धारण क्षमता बेहतर होती है। गाय-बैलों को चिंचड़ी, पिस्सू, जुंए आदि से बचाने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह से डेल्टा मेथ्रिन (बुटोक्स) 2 मिलीलीटर/लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। वहीं खेतों, मेड़ों, रास्तों व खाली जगह को अच्छी तरह सफाई रखें, जिससे फसलें स्वस्थ और खरपतवार मुक्त रहें।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश