महिलाओं ने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर की गोवर्धन पूजा
अररिया फोटो:गोवर्धन पूजा पर एकत्रित महिलाएं


अररिया 23 अक्टूबर(हि.स.)। दीपावली के बाद मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा अररिया के शहरी और ग्रामीण इलाकों में गुरुवार को महिलाओं के द्वारा धूमधाम से मनाया गया।गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान के तहत महिलाओं ने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई और फिर फूल, धूप, दीप आदि से उसकी पूजा की। गोवर्धन की विधिवत पूजा के बाद अंत में व्रत कथा का पाठ किया गया।घर में सुख-समृद्धि की कामना के साथ महिलाओं ने अन्नकूट भी की।

अन्नकूट के पीछे ऐसी मान्यता है कि अन्नकूट से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।ग्रामीण इलाकों में गोवर्धन पूजा पर गायों का सुंदर श्रृंगार कर उनकी भी पूजा की गई। घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर भगवान श्रीकृष्ण, गो माता और गोवर्धन पर्वत की पूजा की गई।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है और यह पर्व हर वर्ष दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन होने की वजह से गोवर्धन पूजन का पर्व गुरुवार को मनाया गया। ये प्रकृति की पूजा है और इसका आरंभ भगवान श्रीकृष्ण ने किया था।इस दिन प्रकृति और गौवंश की पूजा मूल रूप से की जाती है।

गोवर्धन पूजा को लेकर जानकर पंडित मनीष पांडेय ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़ने के लिए ब्रजवासियों से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इंद्र ने गुस्से में भीषण वर्षा कर दी, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सात दिन तक ब्रजवासियों को शरण दी थी। इसीलिए इस दिन गोवर्धन पर्वत को भगवान का स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती है।यह पूजा प्रकृति, पशु और पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व भी है।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर