मुरादाबाद में खुलेगी एंटी करप्शन कोर्ट, पांच जिलों के मामलों की होगी सुनवाई
योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए उठाया बड़ा कदम, मुरादाबाद में खुलेगी एंटी करप्शन कोर्ट


मुरादाबाद, 22 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए मुरादाबाद मंडल को भी एंटी करप्शन कोर्ट दी है। प्रमुख सचिव संजय प्रसाद द्वारा जारी आदेश के अनुसार प्रदेश के 18 जिलों में 22 नए विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक अदालत मुरादाबाद में स्थापित की जाएगी, जहां मंडल के मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, संभल और बिजनौर जिलों के मामलों की सुनवाई होगी। दि बार एवं लाइब्रेरी मुरादाबाद के अध्यक्ष आनंद मोहन गुप्ता ने एंटी करप्शन कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनकी पहली सफलता है। इसके लिए वह काफी समय से प्रयासरत थे।

अब तक भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई बरेली कोर्ट में होती थी, जिससे सरकारी अभियोजकों, गवाहों और आरोपियों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। अब मुरादाबाद में ही यह सुविधा उपलब्ध होने से समय, धन और संसाधनों की बचत होगी। इससे स्थानीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। नए कोर्ट के गठन से एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच रिपोर्ट सीधे स्थानीय स्तर पर न्यायालय को सौंपी जाएगी। इससे मामलों की लंबी तारीखों और देरी की परंपरा खत्म होने की उम्मीद है। सरकार का दावा है कि इस व्यवस्था से जनता में यह संदेश जाएगा कि शासन प्रशासन भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर कायम है। आदेश में कहा गया है कि हर मामले में जल्द से जल्द ट्रायल पूरा करने की व्यवस्था की जाएगी।

दि मुरादाबाद बार एसोसिएशन एवं लाइब्रेरी मुरादाबाद के अध्यक्ष आनंद मोहन गुप्ता ने कहा कि आगे भी इसी तरह अन्य कई सुविधाओं को लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

नहीं लगानी हाेगी बरेली की दाैड़

मुरादाबाद जनपद मुरादाबाद मंडल का मुख्यालय है। यहां पहले से ही एंटी करप्शन मामलों की संख्या अधिक थी लेकिन बरेली में पेशी की बाध्यता के कारण कई मामले वर्षों तक लंबित रहते थे। नई अदालत खुलने के बाद अब मुरादाबाद पुलिस, अभियोजन और न्यायिक अधिकारी आपसी समन्वय से मामलाें का तेजी से निपटारा कर सकेंगे। यह निर्णय न केवल न्यायिक सुविधा का विस्तार है, बल्कि ईमानदार कर्मचारियों के लिए भी राहत का संकेत है। इन अदालतों की कार्यप्रणाली की नियमित समीक्षा कर हर तीन महीने में प्रगति रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल