बीएलओ को चेतावनी, बिना ठोस कारण के निर्वाचन कार्य से छूट नहीं मिलेगी : चुनाव आयोग
बीएलओ को चेतावनी, बिना ठोस कारण के निर्वाचन कार्य से छूट नहीं मिलेगी : चुनाव आयोग


कोलकाता, 22 अक्टूबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा से पहले केंद्रीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने राज्य के सभी बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) को स्पष्ट चेतावनी दी है कि बिना उचित कारण के किसी को भी चुनाव कार्य से छूट नहीं दी जाएगी।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी बीएलओ निर्वाचन कार्य से राहत चाहते हैं, उन्हें अपने कारणों का ठोस आधार आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। अब तक राज्य में 600 से अधिक बीएलओ को सीईओ कार्यालय की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। इन अधिकारियों से 72 घंटे के भीतर यह बताने को कहा गया है कि उन्हें निर्वाचन कार्य से क्यों मुक्त किया जाना चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि राहत मांगने वाले अधिकांश बीएलओ राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक हैं। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने हाल ही में शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि कुछ शिक्षक निर्वाचन कार्य से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कोलकाता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस पर पहले ही स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

इस वर्ष अगस्त में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि शिक्षकों को बीएलओ की जिम्मेदारी देने में कोई कानूनी आपत्ति नहीं है, क्योंकि कानून के तहत शिक्षकों को निर्वाचन संबंधी कार्यों में लगाया जा सकता है।

सीईओ कार्यालय ने चेतावनी दी है कि यदि शिक्षकों ने निर्धारित समय में निर्वाचन ड्यूटी जॉइन नहीं की, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

नवंबर माह की शुरुआत में सीईओ कार्यालय ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि किसी भी स्थिति में पैराटीचर को बीएलओ नियुक्त न किया जाए। यह निर्देश विपक्षी दलों की शिकायतों के बाद जारी किया गया है, जिनमें कहा गया था कि कई जिलों में पैराटीचरों को बीएलओ बनाया जा रहा है। ----------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर