मंडी में विश्वकर्मा दिवस की धूम, विधायक अनिल शर्मा ने की 2 लाख की घोषणा
श्री विश्वकर्मा दिवस समारोह के मौके पर मुख्य अतिथि अनिल शर्मा।


मंडी, 22 अक्टूबर (हि.स.)। मंडी शहर में 74वां वार्षिक विश्वकर्मा दिवस समारोह बुधवार को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मंडी सदर के विधायक एवं पूर्व मंत्री अनिल शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। समारोह में उन्होंने भगवान श्री विश्वकर्मा को नमन करते हुए कहा कि विश्वकर्मा केवल निर्माण के देवता ही नहीं, बल्कि श्रम, सृजन और नवाचार के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जो भी निर्माण और विकास कार्य हो रहे हैं, उनके पीछे भगवान विश्वकर्मा के सृजन और परिश्रम का ही संदेश निहित है।

अनिल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि मंडी में जहां यह पवित्र स्थल स्थित है, वहां श्री विश्वकर्मा का एक भव्य भवन बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए हर संभव सहयोग देंगे ताकि यह स्थान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बने। इसी के साथ उन्होंने अपनी विधायक निधि से श्री विश्वकर्मा ट्रस्ट को दो लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि श्री विश्वकर्मा सभा समाज के प्रति अपने दायित्वों को बखूबी निभा रही है और इस परिसर को और अधिक भव्य बनाना हमारा सामूहिक दायित्व है।

कार्यक्रम के दौरान विश्वकर्मा सभा मंडी के प्रधान ज्ञान चंद शर्मा, उपप्रधान महेंद्र राणा, महासचिव पृथ्वी राज धीमान, कोषाध्यक्ष सुखदेव सिंह और कार्यालय सचिव खरैती लाल धीमान ने विधायक अनिल शर्मा का शॉल और टोपी पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। समारोह में मंडी नगर निगम के महापौर वीरेंद्र भट्ट और पार्षद योग राज योगा को भी सम्मानित किया गया।

दिन की शुरुआत मंदिर परिसर में हुए सामूहिक हवन और झंडा रस्म से हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पूरे दिन वातावरण भक्तिभाव और उल्लास से भरा रहा। श्री विश्वकर्मा की महिमा का गुणगान करते हुए भजन-कीर्तन के कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें श्रद्धालु झूम उठे।

इस अवसर पर आयोजित भंडारे में हजारों लोगों ने मंडयाली धाम का स्वाद चखा और प्रसाद ग्रहण किया। स्थानीय कलाकारों ने भी भक्ति गीतों के माध्यम से भगवान विश्वकर्मा के सृजनशील संदेश को लोगों तक पहुंचाया।

समारोह में मंडी क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों, कामगारों और समाजसेवियों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि भगवान विश्वकर्मा श्रम और कला के देवता हैं, और उनकी पूजा से समाज में कार्य, कौशल और निर्माण की भावना को नई ऊर्जा मिलती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा