अब अंधकार नहीं, आत्मनिर्भरता है बिहार की पहचान: डाॅ. संजय कुमार
अब अंधकार नहीं, आत्मनिर्भरता है बिहार की पहचान: डाॅ. संजय कुमार


पटना, 22 अक्टूबर (हि.स.)। बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेशनल मीडिया पैनलिस्ट डाॅ. संजय कुमार ने सोशल संवाद करते हुए बुधवार काे कहा कि बिहार आज जिस मुकाम पर खड़ा है, वह किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदृष्टि, संवेदनशील नेतृत्व और सुशासन के सतत संकल्प का परिणाम है।

डॉ. संजय कुमार ने कहा कि हम उस पीढ़ी से आते हैं, जिसने लालटेन युग देखा है। जब किरासन तेल के लिए लाइनें लगती थीं, जब बच्चे लालटेन की रोशनी में पढ़ते थे और जब शाम के बाद घर से बाहर निकलना भय का कारण बन जाता था। यह वह बिहार था जहां पलायन विवशता थी और अंधकार स्थायी साथी, लेकिन आज वही बिहार रोशनी, सड़कों, शिक्षा और आत्मविश्वास से जगमगा रहा है, यही है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया बिहार। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास को सत्ता की भाषा नहीं, समाज की बोली में लिखा है।

मुख्यमंत्री ने दिखाया कि सुशासन केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव की कहानी है। जिस बिहार में कभी बिजली 22 प्रतिशत घरों तक पहुंचती थी, वहां आज 100 प्रतिशत घरों में बिजली है। जिस राज्य के बाजार जेनरेटर की आवाज से गूंजते थे, आज वहां बच्चों की हंसी और विकास की रफ्तार सुनाई देती है। यह परिवर्तन आत्मविश्वास का प्रतीक है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों ने घर-घर में जगाया है। शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दृष्टि ने एक क्रांति लाई। आज लड़कियां, जो कभी स्कूल नहीं जा पाती थीं, पुलिस अधिकारी, शिक्षक, मुखिया और प्रशासनिक अधिकारी बनकर पूरे बिहार का गौरव बढ़ा रही हैं। यह दृश्य नये बिहार की आत्मा है।

डॉ. संजय कुमार ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की मिसाल ‘‘जीविका’’ कार्यक्रम के रूप में पूरे देश में स्थापित हुई। एक समय जो महिलाएं चुपचाप अपने घरों में सीमित थीं, आज वे स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ बनी हुई हैं। जीविका से जुड़ी लगभग 1.5 करोड़ महिलाएं अब बिहार की आर्थिक प्रगति की नई पहचान हैं।

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना जैसी पहलें युवा शक्ति को नई दिशा दे रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल युवाओं से वादे नहीं किए, उन्हें अवसर, मार्ग और आत्मनिर्भरता की ठोस राह दी। दलित और महादलित वर्गों के लिए विशेष आयोग बनाकर और उनके लिए लक्षित योजनाएं चलाकर मुख्यमंत्री ने सामाजिक न्याय को धरातल पर उतारा है। यह केवल आरक्षण की राजनीति नहीं, बल्कि समान अवसरों का सशक्तिकरण है।

उन्होंने कहा कि सड़कें सिर्फ मंजिल तक नहीं पहुंचाती, बल्कि वे सपनों को जोड़ती हैं। आज बड़ी आसानी से बच्चा गांव से शहर पढ़ने जा सकता है, किसान अपने उत्पाद को बाजारों तक पहुंचा सकता है, मरीज इलाज के लिए जिला अस्पताल जा सकता है और ये सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कनेक्टिविटी की सोच से।

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हिन्दुस्थान समाचार / चंदा कुमारी