Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
मथुरा, 22 अक्टूबर(हि.स.)। बुधवार काे गोवर्धन पूजा को लेकर गिरि गोवर्धन धाम में भारी भीड़ है। देश ही नहीं विदेश से भी लोग गोवर्धन पहुंचे हैं। वहीं पूरे जनपद में आज घर-घर गोवर्धन पूजा की धूम मची रही। सायंकाल गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति तैयार की गई और विधिविधान से पूजन किया। विदेशी श्रद्धालुओं ने गौड़ियां सम्प्रदाय की शोभायात्रा में बढ़चढ़ कर भाग लिया और ठाकुरजी के भजनों पर नृत्य किया। गोवर्धन महाराज के राधाकुंड जतीपुरा, आन्यौर सभी जगह दर्शन परिक्रमार्थियों को सुलभ रूप से मिले। वहीं गोवर्धन में आज इस विशेष पूजा को लेकर दानघाटी मंदिर मुकुट मुखारबिंद पर सुबह से ही दुग्धाभिषेक करने वाले भक्तों की भीड़ देखी गई और परिक्रमार्थियों का सैलाब देर सायं तक नजर आया।
इस पर्व पर मथुरा में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ी. जतीपुरा मुखारविंद मंदिर में श्रद्धालुओं ने दुग्ध अभिषेक किया। इसके अलावा गोवर्धन महाराज को 1006 तरह के व्यंजनों का भोग भी लगाया गया। दोपहर तक करीब डेढ़ लाख भक्त दर्शन-पूजन कर चुके थे। शाम तक यह संख्या 4.50 लाख के करीब पहुंच गई। भगवान गोवर्धन की पूजा के लिए कई विदेशी महिलाएं भी पहुंचीं. उन्होंने ढोल-मंजीरे पर डांस भी किया।
ढोल-नगाड़े-मंजीरे की धुन पर विदेशी महिलाओं ने डांस किया। नाचते और जयकारे लगाते हुए भक्त शोभायात्रा में शामिल हुए लोगों ने घरों में गाय के गोबर से गिरिराज जी बनाकर उनकी पूजा की। इसके बाद नए अनाज से कई तरह के पकवान तैयार किए। इसके बाद इस अन्नकूट से गोवर्धन महाराज को भोग लगाया। कान्हा की नगरी में दीपावली के बाद तीसरे दिन गोवर्धन पूजा की धूम है।
आज गोवर्धन के साथ ही ठाकुर जी को भी अनेक व्यंजनों का भोग लगाया गया। गौड़ीय संप्रदाय के महंत हरे कृष्ण दास ने बताया कि गौड़ीय संप्रदाय के संतों ने अपने आश्रम से भव्य शोभायात्रा निकाली। यात्रा मानसी गंगा पहुंचे, गिरिराज पर्वत को 1006 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया। महंत ने बताया कि अमेरिका, कनाडा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस, जापान, फिलीपींस के श्रद्धालु भी यहां आकर पूजा करते हैं. इस बार भी विदेशी भक्त पहुंचे हैं। महंत ने बताया कि द्वापर युग में पूरे ब्रज मंडल में इंद्रदेव की पूजा की जाती थी। कृष्ण ने अपने नंद बाबा से कहा कि हम सभी लोग दूसरे भगवान की पूजा करेंगे। इतना सुनने के बाद इंद्रदेव क्रोधित हो गए। इंद्रदेव ने ब्रजमंडल में मूसलाधार बारिश शुरू करा दी। इससे श्रीकृष्ण अपने ग्वाल-बाल और गायों को बचाने के लिए गोवर्धन को अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इंद्रदेव ने ब्रज में पूरे 7 दिनों तक बारिश की थी। इस दौरान श्रीकृष्ण ने पर्वत को उठाए रखा था। उस दौरान बृजवासियों ने कान्हा को 56 प्रकार के पकवान बनाकर अन्नकूट का भोग लगाया था। इसके बाद से यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार