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बलरामपुर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। धार्मिक आस्था और जीवनदायिनी मानी जाने वाली कन्हर नदी आज खुद अपनी स्वच्छता के लिए पुकार रही है। उत्तरवाहिनी प्रवाह के कारण गंगा समान पवित्र मानी जाने वाली यह नदी अब पूजन सामग्री और कचरे के ढेर से जूझ रही है। छठ घाट और राम मंदिर घाट से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में फूल-मालाएं, प्लास्टिक और दीप अवशेष नदी में डाले जा रहे हैं, जिससे इसका जल प्रदूषित हो रहा है और घाटों का सौंदर्य फीका पड़ गया है।
कन्हर नदी में बने एनीकट के कारण अब पूजन सामग्री बह नहीं पाती। जल के ठहराव से ये अवशेष सड़ने लगते हैं, जिससे दुर्गंध और मच्छरों की समस्या बढ़ रही है। बरसात के मौसम में तेज बहाव से कुछ कचरा जरूर निकल जाता है, परंतु शेष सामग्री नदी की गोद में जहर घोल रही है।
नगर पालिका अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महामाया मंदिर स्थित छठ घाट की सफाई कराने की घोषणा की है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे पूजन सामग्री को सीधे नदी में प्रवाहित न करें। इसके बजाय सामग्री को शिव मंदिर घाट या एनीकट के नीचे बहाने की सलाह दी, ताकि कचरा नदी की धारा के साथ आगे निकल सके।
नगर प्रमुख रमन अग्रवाल ने कहा कन्हर नदी हमारी पहचान है, हमारी परंपरा की आत्मा है। इसे स्वच्छ रखना सिर्फ प्रशासन नहीं, हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे नदी को प्रदूषणमुक्त रखने में सक्रिय भूमिका निभाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ कन्हर की कल-कल धारा सुन सकें।
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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय