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फतेहाबाद, 22 अक्टूबर (हि.स.)। जिले के जाखल क्षेत्र के गांव चुहड़पुर के प्रगतिशील किसान हरविंद्र सिंह लाली ने अपने 31 एकड़ भूमि पर धान की फसल अवशेष यानि पराली को सुपर सीडर मशीन द्वारा भूमि में ही मिलाकर पराली प्रबंधन की मिसाल पेश कर रहे है। पिछले 10 वर्षों से किसान हरविंद्र सिंह लाली अपने खेतों में पराली को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाकर उसकी उर्वर शक्ति और जैविक गुणवत्ता को बढ़ा रहे हैं। बुधवार को एसडीएम आकाश शर्मा ने गांव चुहड़पुर पहुंचकर किसान हरविंद्र सिंह लाली द्वारा किए जा रहे पराली प्रबंधन कार्य का निरीक्षण किया और अन्य किसानों से अपील की कि वे भी पराली प्रबंधन अपनाकर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें।
एसडीएम आकाश शर्मा ने प्रगतिशील किसान सराहना करते हुए कहा कि प्राकृतिक तरीके से पराली को खेतों में ही अवशोषित कर मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में अहम योगदान दे रहे हैं। प्रगतिशील प्रयासों से न केवल पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि खेती में टिकाऊ और लाभकारी परिणाम भी हासिल होंगे। उन्होंने कहा यह दूसरे किसानो के लिए भी प्रेरणा है। सुपर सीडर जैसी आधुनिक तकनीकें किसानों को न केवल श्रम और समय की बचत देती हैं, बल्कि भूमि की उपजाऊ क्षमता भी बनाए रखती हैं। उन्होंने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे पराली जलाने के बजाय इसे खेतों में ही मिलाने की विधि अपनाएं। इससे वायु प्रदूषण में कमी, भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि, और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई लाभ एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं। एसडीएम ने कहा पराली जलाना पर्यावरण और कृषि दोनों के लिए गंभीर हानि का कारण है। इससे वायु प्रदूषण फैलता है, जिसके चलते धुंध (स्मॉग) और श्वसन रोग बढ़ जाते हैं। पराली जलाने से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मौजूद जीवांश पदार्थ और सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है। इसके अलावा, भूमि का तापमान असंतुलित हो जाता है और अगली फसल की उपज क्षमता में कमी आती है।
किसान हरविंद्र सिंह लाली ने बताया कि पराली को खेत में मिलाने से मिट्टी की संरचना बेहतर होती है, सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने कहा यह प्रक्रिया सरल है और सभी किसान इसे अपनाकर न केवल अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। इस दौरान कृषि विषय विशेषज्ञ अजय ढिल्लो सहित अन्य किसान भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / अर्जुन जग्गा