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रायगढ़, 22 अक्टूबर (हि.स.)। अडानी समूह की प्रस्तावित पुरुंगा भूमिगत कोयला खदान परियोजना के विरोध में आज बुधवार काे धरमजयगढ़ क्षेत्र के तीन ग्रामों साम्हरसिंघा, पुरुंगा और तेंदुमुड़ी के सैकड़ों ग्रामीण कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। ग्रामीणों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए 11 नवम्बर को प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल निरस्त करने की मांग की और इस संबंध में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत साम्हरसिंघा द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र में उल्लेख किया गया है कि यह क्षेत्र पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है और पेसा कानून 1996 तथा छत्तीसगढ़ पेसा अधिनियम 2022 के संरक्षण में है। इसके बावजूद मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड द्वारा 869.025 हेक्टेयर भूमि पर भूमिगत कोयला खदान परियोजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु जनसुनवाई निर्धारित की गई है, जिसमें 621.331 हेक्टेयर वन भूमि, 26.898 हेक्टेयर गैर वन भूमि और 220.796 हेक्टेयर निजी भूमि सम्मिलित है।ग्राम सभा साम्हरसिंघा ने 19 अक्टूबर 2025 को आयोजित विशेष बैठक में सर्वसम्मति से इस परियोजना का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किया, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि कोकदार आरक्षित वन क्षेत्र में घना जंगल और जंगली हाथियों का स्थायी निवास है और भूमिगत खनन से जलस्तर गिरने, पर्यावरण असंतुलन तथा वन्यजीवों के जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। ग्राम सभा ने अपने प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2001 से अब तक इस क्षेत्र में 167 ग्रामीणों की मृत्यु हाथियों के हमले से हुई है, जबकि 68 हाथियों की मौत दर्ज की जा चुकी है। ऐसे में किसी भी नई खनन गतिविधि से जंगल और हाथियों दोनों के अस्तित्व पर संकट गहराना तय है।
वहीं ग्रामीणों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “हम जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए एकजुट हैं और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का पालन चाहते हैं। उन्होंने मांग की कि प्रशासन पेसा कानून के प्रावधानों का सम्मान करते हुए 11 नवम्बर को प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल निरस्त करे, ताकि ग्राम सभाओं पर ग्रामीणों का विश्वास और संविधान की मर्यादा बनी रहे। धरमजयगढ़ की यह आवाज अब क्षेत्र की सीमाओं से निकलकर एक बड़े आंदोलन का संकेत दे रही है, जहाँ जंगल, हाथी और इंसान तीनों के अस्तित्व की रक्षा की जिद में गांव एकजुट होकर खड़े हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / रघुवीर प्रधान