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जगदलपुर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ सहित देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई चल रही है। बस्तर में लगातार हो रहे मुठभेड़, आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी से नक्सल संगठन बौखलाया हुआ है। जिसके बाद अब नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने एक पत्र जारी कर 24 अक्टूबर को देश व्यापी बंद का ऐलान किया है। नक्सल संगठन ने अभय के नाम से पर्चा जारी किया है, करीब 2 पेज के पर्चे में लिखा हुआ है कि साल 2022 से अब तक अलग-अलग जगह चलाए गए नक्सल ऑपरेशन में फोर्स ने 700 नक्सल साथी और आम नागरिकों की हत्या की गई है। हिंदूस्थान समाचार नक्सलियाें के पर्चाें की पुष्टि नहीं करता है।
जारी पर्चे में लिखा गया है कि करेंगुट्टा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चल रहे हैं। वहीं नक्सल संगठन इन ऑपरेशंस के खिलाफ 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक विरोध सप्ताह मना रहा है। इसी के साथ ही 24 अक्टूबर को देश भर में बंद का ऐलान किया गया है। नक्सली अभय के पर्चे में लिखा है कि पिछले साढ़े 5 महीने में नक्सल संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। सेंट्रल कमेटी के नक्सली बालकृष्णा, चंद्रहासा, लोकेश, कट्टारामचंद्र रेड्डी, कडारी सत्यनारायण रेड्डी समेत अन्य सेंट्रल कमेटी, एसजेडसी, डीकेएसजेडसीएम, डीवीसीएम, एसीएम जैसे कैडर के नक्सलियों को मारा गया है। इसलिए अब ऑपरेशन रोकने की बात कही गई है।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किए गये सीआरपीएफ की 80 प्रतिशत सुरक्षा बलों को उत्तर भारत में तैनात किए गये सीआरपीएफ बलों से ज्यादा छत्तीसगढ़, झारखंड, आडिशा राज्यों में तैनात किया गया है। आने वाले पांच महीनों में दंडकारण्य के नारायणपुर जिला के माड, बीजापुर जिला के नेशनल पार्क, करेंगुष्ट्टा एरियाओं में, सुकमा जिला में झारखंड के पश्चिम संहभूम जिला में, ओडिशा की नक्सल प्रभावित जिलों में माओवादियों को, संघर्षरत जनता को बड़े पैमाने पर खत्म करने का दुष्ट योजना को अमल शुरू हो चुका है। ऐसी स्थिति में कगार युद्ध को रोकने की मांग को लेकर देश भर में व्यापक जन आंदोलन को खड़े करने की जरूरत है। विकसित भारत की गठन के नाम पर देश को 'कार्पोरेट हिन्दू राष्ट्र' में बदलने के लिए आरएसएस-भाजपा की नेतृत्व में चलने वाले केंद्र, राज्य सरकारों द्वारा देश में व्यापक जनता (उत्पीडित वर्ग, उत्पीडित सामाजिक समुदाय, उत्पीडित राष्ट्रीयताओं की जनता) पर, विपक्ष पार्टीयों पर जन पक्षधर बुद्धिजीवीयों पर, जन पक्षधर संगठनों-संस्थाओं पर चलाये जाने वाले हमलों के विरोध में उसे प्रतिरोध करने देश भर में व्यापक जन आंदोलन को, जन प्रतिरोध आंदोलन को खड़े करने की जरूरत है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे