दिवाली की रात धर्मशाला और डमटाल में खूब घुला पटाखों का जहर
दिवाली की रात धर्मशाला और डमटाल में खूब घुला पटाखों का जहर


धर्मशाला, 22 अक्टूबर (हि.स.)। दिवाली की रात कांगड़ा जिले के मुख्यालय धर्मशाला और डमटाल शहरों में पटाखों और अन्य गतिविधियों के कारण वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई। धर्मशाला का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दिवाली की रात 120 रिकॉर्ड किया गया, जो मध्यम श्रेणी में आता है, जबकि दिवाली से एक दिन पहले यह 61 था। इसी तरह, डमटाल का AQI दिवाली की रात 97 रहा, जो दिवाली से पहले 79 था।

हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, क्षेत्रीय प्रयोगशाला धर्मशाला ने दोनों शहरों में दिवाली से पहले और दिवाली पर परिवेशी वायु के नमूनों का संग्रह और परीक्षण किया। रिपोर्ट में पाया गया कि सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया और ओजोन जैसी गैसीय प्रदूषकों की सांद्रता अपेक्षाकृत कम थी और निर्धारित मानकों से काफी नीचे रही।

विशेष रूप से धर्मशाला में दिवाली के दिन वायु में 2.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की उच्च सांद्रता देखी गई, जबकि मानक 24 घंटे की सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी। इस दौरान, धर्मशाला में AQI 97 प्रतिशत बढ़कर 120 हो गया, जो पटाखों और अन्य दिवाली गतिविधियों के वायु प्रदूषण पर प्रभाव को दर्शाता है। डमटाल में AQI में करीब 22.7 प्रतिशत वृद्धि हुई और यह 97 पर पहुंचा।

इससे पहले, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और प्रयोगशाला द्वारा स्कूलों में जागरूकता अभियान और रैलियां आयोजित कर पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने की अपील की गई थी।

राज्य स्तर पर हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 12 स्थानों पर वायु निगरानी की। इसमें बद्दी शहर का AQI सबसे अधिक 167 रहा, जबकि ऊना 140, पांवटा साहिब 123, धर्मशाला 120 और परवाणू 118 रिकॉर्ड किए गए। ये सभी शहर मध्यम श्रेणी में आते हैं, जबकि बाकी सात शहर संतोषजनक श्रेणी (AQI 51 से 100) में दर्ज हुए।

हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, क्षेत्रीय प्रयोगशाला धर्मशाला दाड़ी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि दिवाली से पहले और दिवाली के दिन वायु गुणवत्ता का परीक्षण किया गया, जिसमें ये आंकड़े सामने आए। उन्होंने कहा कि लोगों को पटाखों के जलाने में संयम बरतने और पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने की आवश्यकता है, ताकि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया