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खूंटी, 22 अक्टूबर (हि.स.)। ज़िले के फूदी पंचायत के डूंगरा पंदनटोली में जनजातीय संस्कृति और परंपरा का सबसे बड़ा पर्व पांच दिवसीय सोहराय जतरा बुधवार को शुरू हो गया। जतरा का उद्घाटन पाहनों ने विधिवत पूजा-पाठ कर किया।
पूजा के बाद मांदर की गूंज और पारंपरिक नृत्य की थाप ने पूरे गांव को उत्सवमय बना दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में खूंटी के विधायक रामसूर्या मुंडा कहा कि सोहराय पर्व हमारी संस्कृति की आत्मा है, जो हमें प्रकृति, पशुधन और कृषि से जोड़ता है। इस पर्व के माध्यम से हम अपने जीवन को धरती माता और सृष्टि के प्रति कृतज्ञता से भरते हैं।
उन्होंने कहा कि सोहराय पर्व को आदिवासी समाज का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे पांच दिनों तक अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। इस दौरान ग्रामीण अपने देवी-देवताओं, कृषि उपकरणों और मवेशियों की पूजा करते हैं। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है। पहले दिन गोठ पूजा में मवेशियों को स्नान कराकर सजाया जाता है, दूसरे दिन देव पूजा होती है, तीसरे दिन खुट पूजा, चौथे दिन मेला आयोजन और अंतिम दिन भोज-भात के साथ पर्व का समापन किया जाता है।
वहीं मेला स्थल पर आसपास के गांवों से लोग बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। मेले में स्थानीय कारीगरों के बनाए पारंपरिक हस्तशिल्प, कृषि उपकरण, बांस के सामान, लकड़ी के खिलौने और लोक कलाओं की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस दौरान बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, खेल और खाने-पीने की दुकानें भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
जनजातीय समाज के लिए सोहराय पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, कृषि जीवनशैली और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक भी है। यह पर्व मनुष्य और प्रकृति के बीच गहरे संबंध का उत्सव है। ग्रामीणों का मानना है कि सोहराय पर्व के माध्यम से वे धरती माता, पशुधन और प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।
मौके पर ज़िला परिषद सदस्य सुशील संगा, सैयूम अंसारी, प्रकाश तिर्की, चेटे सोदाग के मुखिया पतरस लकड़ा और मिघवा मुंडा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा