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देहरादून, 22 अक्टूबर (हि.स.)।
शीतकाली के लिए गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर राज्य के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कपाट बंद होने का मतलब है कि यात्रा के अगले चरण की तैयारी शुरू करना है।उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे शीतकाल प्रवास पर भी देवों के दर्शन करने के आए।
मंत्री महाराज ने कहा कि अन्नकूट और गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद गंगोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की पूजा-अर्चना अब शीतकालीन गद्दीस्थल मुखबा में होगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि चारधाम यात्रा से उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे शीतकालीन यात्रा के दौरान मुखबा, खरसाली, ऊखीमठ और जोशीमठ में मां गंगा, यमुना, भगवान केदार और बद्री विशाल के दर्शन करके पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने माँ गंगा से सभी भक्तों के जीवन में सुख, शांति और उन्नति की कामना की है।
उन्होंने कहा कि कपाट बंद होना यात्रा के अगले चरण की तैयारी को दर्शाता है और उन्होंने माँ गंगा से प्रार्थना की कि उनका आशीर्वाद हम सब पर बना रहे।
महाराज ने कहा कि गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि 23 अक्टूबर गुरुवार को भाई दूज के पर्व पर मां यमुना के पावन मंदिर यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद हो जाएंगे।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने चारधाम की यात्रा कर पूज्य लाभ अर्जित किया है। अभी तक यमनोत्री धाम में 6,44,366, गंगोत्री धाम में 7,57,762, केदारनाथ धाम में 17,45,065 और बद्रीनाथ धाम में 15,24,942 सहित चारों धामों में कुल 49,46,576 यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किए हैं। तीनों धामों के कपाट बंद होने तक यह आंकड़ा 50 लाख पार पहुंच जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल