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पूर्वी सिंहभूम, 22 अक्टूबर (हि.स.)। देश में खनिज संसाधनों के कुशल दोहन और तकनीकी नवाचार को गति देने के उद्देश्य से सीएसआईआर–राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) और मिनरल (खनिज) एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोगात्मक समझौते (एमओयू) पर बुधवार को हस्ताक्षर किया गया।
यह पहल आत्मनिर्भर भारत के सतत खनिज विकास मिशन को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के अनुसंधान, धातु निष्कर्षण और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करना है। दोनों संस्थान अब संयुक्त रूप से ऐसी परियोजनाओं पर काम करेंगे, जो न केवल नई खोजों और प्रौद्योगिकी विकास पर केंद्रित होंगी, बल्कि एमईसीएल की स्वतंत्र परियोजनाओं में भी तकनीकी सहयोग देंगे।
इसके तहत खनिज परिशोधन (बेनिफिशिएशन), धातु निष्कर्षण, तकनीकी अंतराल का मूल्यांकन, विश्लेषणात्मक सहयोग और अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संबंधी गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा।
यह साझेदारी भारत सरकार की उस नीति के अनुरूप है, जो सतत और आत्मनिर्भर खनिज विकास को प्रोत्साहित करती है। समझौते के माध्यम से अनुसंधान संस्थानों और औद्योगिक संगठनों के बीच ज्ञान-साझा, कौशल-विकास और संयुक्त नवाचार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे न केवल खनिज संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होगा, बल्कि उनकी वैल्यू एडिशन की प्रक्रिया भी मजबूत होगी।
समझौते पर हस्ताक्षर एमईसीएल की ओर से कार्तिक रामचंद्रन, प्रमुख (व्यवसाय विकास एवं वाणिज्य) और सीएसआईआर-एनएमएल की ओर से डॉ एसके पाल, मुख्य वैज्ञानिक एवं प्रमुख (अनुसंधान योजना एवं व्यवसाय विकास) ने किया।
इस अवसर पर एमईसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक इंद्र देव नारायण, निदेशक (तकनीकी) पंकज पांडे और सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधरी सहित कई वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित थे।
इस समारोह में सीएसआईआर-एनएमएल के वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार, डॉ डी मिश्रा, डॉ अभिलाष और एमईसीएल के श्रीकांत शर्मा, जीएम (एक्सप्लोरेशन) सहित अन्य गणमान्य भी शामिल हुए।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक