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अयोध्या, 22 अक्टूबर (हि.स.)। रामनगरी अयोध्या के ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु नानक गोविंद धाम नजर बाग में आज बंदी छोड़ दिवस एवं गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन किया गया। इस अवसर पर वार्षिक महान गुरमत समागम का आयोजन प्रेम और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
नानकसर सिंघड़ा करनाल से पधारे संत बाबा अमरजीत सिंह भोला ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि सिख धर्म सदा से शांति, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक रहा है। उन्होंने कहा हम सब एक ईश्वर की संतान हैं। समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। देश के कोने-कोने से पहुँची संगत ने गुरबाणी कीर्तन के माध्यम से श्रद्धालुओं को गुरु चरणों से जोड़ा और गुरु नानक देव जी के उपदेशों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के पश्चात श्रद्धालुओं ने बड़ी श्रद्धा और आनंद के साथ लंगर प्रसाद ग्रहण किया।
गुरुद्वारा नजर बाग के जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह ने बताया कि दीपावली के दिन सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने ग्वालियर किले से 52 राजाओं को मुक्त कराकर अमृतसर पहुंचे थे। उनके आगमन पर हरमंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) और पूरा अमृतसर नगर दीपों की रोशनी से जगमगा उठा था। उसी दिन को दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है, अर्थात बंधन मुक्त कराने वाले दाता का दिवस।
इस अवसर पर सेवादार नवनीत सिंह ने बताया कि नजर बाग स्थित यह गुरुद्वारा सिख इतिहास का अत्यंत पौराणिक स्थल है। यहां सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी और दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के पावन चरण पड़े थे। वहीं कार्यक्रम में पहुँचे बाबा करमजीत सिंह जी ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत को स्मरण करते हुए उनके बताए मार्ग मानवता, सेवा, समानता और एकता को समाज में फैलाना है। श्रद्धालुओं ने एक स्वर में संकल्प लिया कि वे गुरु साहिबान की शिक्षाओं पर चलते हुए भाईचारा, प्रेम और मानवता का संदेश जन-जन तक पहुँचाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय