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कोलकाता, 21 अक्टूबर (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू) की घोषणा की संभावना के बीच भाजपा ने अपने बूथ स्तर एजेंटों (बीएलए) को चेताया है कि वे उन विधानसभा क्षेत्रों पर विशेष नजर रखें, जहां मतदाताओं की संख्या में असामान्य रूप से बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।
भाजपा की राज्य समिति के एक सदस्य ने बताया कि पार्टी ने अपने बीएलए को खासतौर पर उन क्षेत्रों में सतर्क रहने को कहा है, जहां वर्ष 2011 से अब तक मतदाताओं की संख्या में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्ष 2011 वह समय था जब बंगाल में 34 साल के वाम मोर्चा शासन का अंत हुआ था और ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई थी।
राज्य समिति सदस्य के अनुसार, सामान्य परिस्थितियों में किसी भी क्षेत्र में 15 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि स्वाभाविक मानी जाती है। यह वृद्धि जनसंख्या वृद्धि, दशकवार जनसंख्या अनुपात और मतदाता-जनसंख्या अनुपात जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा कि कुछ अपवाद स्वरूप मामलों में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि को भी स्वीकार्य माना जा सकता है, लेकिन इससे अधिक वृद्धि किसी भी स्थिति में असंभव प्रतीत होती है। खासकर उत्तर 24 परगना जिले के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो बेहद असामान्य है। यही कारण है कि हमारे बीएलए को इन क्षेत्रों में विशेष रूप से सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है।
भाजपा ने उन सभी विधानसभा क्षेत्रों की पहचान कर ली है, जहां 2011 से अब तक मतदाताओं की संख्या में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इन क्षेत्रों की पूरी सूची संबंधित बीएलए को सौंप दी गई है।
बीएलए को यह भी प्रशिक्षण दिया गया है कि वे विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान निर्वाचन अधिकारियों के साथ मिलकर काम करें ताकि फर्जी, मृत और दोहराए गए मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकें।
राज्य समिति सदस्य ने बताया, “बीएलए को यह भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि यदि पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान उन्हें किसी भी निर्वाचन अधिकारी की ओर से कोई अनियमितता दिखाई दे, तो उसकी जानकारी तत्काल पार्टी की राज्य समिति और संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों को दें। आवश्यकता पड़ने पर ऐसे मामलों को मुख्य निर्वाचन अधिकारी, पश्चिम बंगाल के कार्यालय तक भी पहुंचाया जाएगा।”
भाजपा की यह सतर्कता आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बेहद रणनीतिक मानी जा रही है, जहां मतदाता सूची की शुद्धता पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हुई हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर