बलरामपुर : रामानुजगंज-बलरामपुर में सड़कें बदहाल, रोज़ाना हो रहे हादसें
रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग


बलरामपुर, 21 अक्टूबर (हि.स.)। रामानुजगंज-बलरामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जनता हर दिन भुगत रही है ‘गड्ढा राज’ का कहर विकास के वादों की झिलमिल रोशनी के बीच अगर आप छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले की ओर रुख कर रहे हैं, तो संभल जाइए। यहां विकास नहीं, गड्ढे आपका स्वागत करेंगे। मुख्यमंत्री का संभाग और कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम का गृह ज़िला होने के बावजूद रामानुजगंज-बलरामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग आज ऐसी बदहाली का शिकार है कि लोग अब इसे सड़क नहीं, हादसे की हाइवे कहने लगे हैं।

सरकार ने नो हेलमेट, नो पेट्रोल का सख्त फरमान जारी कर दिया है, लेकिन जनता अब पूछ रही है नो रोड, नो पेट्रोल का नियम कब बनेगा?

सड़क नहीं, गड्ढों की गैलरी

महज 29 किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को अब एक घंटे से भी अधिक वक्त लग जाता है। जगह-जगह एक-एक फीट गहरे गड्ढे, उड़ती धूल के गुब्बारे, और हर वाहन के साथ उठता खतरे का कोहरा यही इस सड़क की पहचान बन गई है।

बारिश के दिनों में ये गड्ढे तालाब बन जाते हैं, और सूखे मौसम में धूल का ऐसा बादल कि पहचानना मुश्किल हो जाता है कि आप सड़क पर हैं या खेत के मेड़ पर।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क पिछले कई वर्षों से अधर में लटकी हुई है। काम शुरू करने के दावे तो बार-बार किए गए, पर सड़क आज भी जर्जरता की मिसाल बनी हुई है।

रामानुजगंज निवासी राजेश गुप्ता कहते हैं कि, सड़क पर चलना मतलब जान जोखिम में डालना है। हेलमेट लगाना जरूरी है, लेकिन सड़क बनवाना जरूरी नहीं? नेताओं की गाड़ियां तो एयरकंडीशन में चलती हैं, लेकिन आम जनता हर गड्ढे पर हड्डी तुड़वाती है।

विकास की फाइलें, सड़क पर पसरे धूल के साथ उड़ रहीं!

पिछले कुछ वर्षों में इस सड़क को लेकर कई बार निरीक्षण हुआ, फोटो खिंचवाई गई, मीटिंगें हुईं, आश्वासन दिए गए लेकिन सड़क वहीं की वहीं रही। जनता अब कहती है सरकारी विभाग की मीटिंगें गड्ढों की गहराई मापने के लिए नहीं, वादों की ऊंचाई बताने के लिए होती हैं।

तंज कसते हुए राजेश गुप्ता ने कहा, नेता जी जब गड्ढे से निकलते हैं, तो सेल्फी नहीं, दुख निकलता है। सड़क में इतने गड्ढे हैं कि जीपीएस भी रास्ता भटक जाए। हमारे बच्चे अब सड़क पहचानने नहीं, गड्ढे गिनने में माहिर हो गए हैं।

जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर ऐसी सड़क का हाल प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा सवाल है। मंत्री और अफसर जब इसी रास्ते से गुजरते हैं, तब शायद उनके वाहन का सस्पेंशन जनता की उम्मीदों से बेहतर होता है, इसलिए उन्हें झटका महसूस नहीं होता।

दुर्घटनाओं का हॉटस्पॉट बना यह मार्ग

रामानुजगंज-बलरामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रोज़ाना हादसे हो रहे हैं। कई बाइक सवार गिरकर घायल हो चुके हैं। सड़क किनारे छोटे दुकानदार कहते हैं हर तीसरे दिन कोई न कोई गिरता है, फिर उठा कर अस्पताल भेजना पड़ता है।

उल्लेखनीय है कि, सरकार का नारा है नो हेलमेट, नो पेट्रोल जनता का कहना है इस बार नो रोड, नो वोट!क्योंकि जब सड़कें जख्म बन जाएं, तो विकास के वादे मरहम नहीं बन सकते। यह सड़क सिर्फ बदहाल नहीं, बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता का आइना बन चुकी है। सच्चाई यही है कि बलरामपुर जिले की सड़क अब विकास की नहीं, विफलता की पहचान बन गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय