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—मेले में दमा के मरीजों ने भेला के फल का जूस पिया,महिलाओं ने घरेलू सामान खरीदा
वाराणसी,21 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी के मंड़ुवाडीह इलाके के मांडवी तालाब के पश्चिमी क्षेत्र में लगे भेला के मेला में आसपास के ग्रामीण महिलाओं और दमा के रोगियों की भीड़ उमड़ पड़ी। दीपावली की देर रात से लगे मेले में मंगलवार को दोपहर तक रौनक बनी रही। मेले में लोगों ने मीरजापुर, प्रतापगढ़ और आसपास के घने जंगलो में मिलने वाले जंगली फल भेला और कैथ की जमकर खरीददारी की। लोगों ने मेले में भेला के फल से निकलने वाले रस का सेवन किया।
क्षेत्र के पुरनिए बताते हैं कि मंड़ुवाडीह के इस प्राचीनतम मेले में दमा मरीज आते है। वे भेला फल का जूस पीते हैं। इससे दमा, अस्थमा के अलावा गठिया रोग में भी आराम मिलता है। मंड़ुवाडीह के दुकानदार पप्पू सोनकर,अजय मौर्य और विशाल बताते है कि भेला फल का रस निकालने के पहले उबाला जाता है। फिर इसे दमा के मरीज को पिलाने के पूर्व उसके मुंह के अंदर गाय के दूध से बने देशी घी का लेप भली-भांति लगाया जाता है। इसके बाद ही मरीज को एक चम्मच रस पिलाया जाता है। कुछ दिन तक इस फल के रस को इसी प्रकार लेने से दमा और अस्थमा में राहत मिलता है। क्षेत्र के कैलाश जायसवाल बताते हैं कि मेले में ज्यादातर लोग जंगली फल भेला और कैथ खरीदने ही आते है। महिलाएं घर का जरूरी सामान बांस की टोकरी,सूप, चलनी, चौका-बेलन,बच्चों के लिए खिलौने और अन्य जरूरी सामान खरीदती हैं। बताते चले, जंगली कैथ फल या कैथा पेट की समस्याओं के लिए भी काफी लाभकारी माना जाता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है, जिससे पेट दर्द, अपच और अल्सर जैसी समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। कैथा ज्यादा पक जाने पर इसका स्वाद मीठा लगता है जिसे फल के रूप में भी खा सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी