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इटानगर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश की स्वदेशी आस्था और
सांस्कृतिक सोसायटी (आईएफसीएसएपी) की अध्यक्ष डॉ. एमी रूमी ने कहा कि अरुणाचल
प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 (एपीएफआरए) राज्य
में पहले से ही मौजूद है और राज्य सरकार को बस अधिनियम की अधिसूचना जारी करनी है।
यह बातें उन्होंने आज इटानगर में एपीएफआरए-1978 के कार्यान्वयन
और स्वदेशी आस्थाओं और परंपराओं की रक्षा में इसकी प्रासंगिकता के बारे में व्यापक
जागरूकता पैदा करने और कानून को लागू करने की मांग को लेकर आयोजित एक रैली को
संबोधित करते हुए कही।
यह रैली आज सुबह रामाकृष्ण मिशन अस्पताल के हेलीपैड मैदान से शुरू हुई और
न्योकुम लापांग मैदान, इटानगर में समाप्त हुई। इसका आयोजन अरुणाचल प्रदेश की
स्वदेशी आस्था और सांस्कृतिक संस्था (आईएफसीएसएपी) ने “एपीएफआरए 1978 अब तक क्यों नहीं” टीम के साथ किया।
राज्य भर से डोनयी पोलो और अन्य धर्मावलंबियों के हजारों अनुयायी प्ले कार्ड, बैनर, डोनयी पोलो के झंडे आदि लेकर रैली में शामिल हुए और राज्य
सरकार से तुरंत नियम बनाकर उन्हें लागू करने की मांग की।
आईएफसीएसएपी के अध्यक्ष डॉ. एमी रूमी ने राज्य भर से भारी संख्या में लोगों की
भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह एक सफल रैली थी और राज्य भर से लोग
एपीएफआरए 1978 के कार्यान्वयन में देरी के लिए अपनी शिकायतें व्यक्त करने
आए है।
उन्होंने यह भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 राज्य में पहले से ही लागू है और अगर कोई भी व्यक्ति जबरन
या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करता है, तो हम इस अधिनियम का इस्तेमाल कर सकते हैं और हम उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत
कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द हम पूरे राज्य में
इस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा, क्योंकि हमारे मूल निवासियों को इस
प्रावधान की जानकारी होनी चाहिए।
इस अधिनियम के निर्माण और उसके कार्यान्वयन में हो रही देरी के संबंध में
उन्होंने कहा कि नियम बनाने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन की आवश्यकता ही
नहीं थी, यह पहले ही बन चुका है और केवल एक राजपत्र अधिसूचना जारी
करना बाकी है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है और उच्च
न्यायालय द्वारा दिए गए छह महीने के समय, जो नवंबर 2025 को समाप्त होने वाला है, की समाप्ति से पहले ही तुरंत इस कानून को राज्य में लागू
करने का अनुरोध किया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है, तो हम मुकदमा दायर करने के लिए मजबूर होंगे।
उन्होंने अरुणाचल क्रिश्चियन फोरम (एसीएफ) को चुनौती देते हुए कहा कि सोशल
मीडिया और राज्य के निर्दोष लोगों को एपीएफआरए 1978 के बारे में गलत
जानकारी देने या गलत मार्गदर्शन देने के बजाय, अगर यह
असंवैधानिक या अवैध है तो उन्हें अदालत क्यों नहीं जा रही है, अदालत जाने का
अधिकार है।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी