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मुंबई, 18 अक्टूबर (हि.स.)। मुंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र की पूर्व मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के खिलाफ अदालती आदेशों का पालन न करने पर शनिवार को 25,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया है।
सरकारी फैसलों पर अमल न करने को लेकर सौनिक के खिलाफ दायर दो अवमानना याचिकाओं पर यह अहम फैसला लिया गया है। अदालत ने उनके खिलाफ अदालती आदेश की अनदेखी करने और नोटिस लेने से इनकार करने पर यह कार्रवाई की है। शिक्षकों ने उनके खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी। इसलिए अब उन्हें अदालत में पेश होना होगा।
मुंबई उच्च न्यायालय के जस्टिस रवींद्र वी घुगे और अश्विन डी भोबे की पीठ ने सौनिक को 26 नवंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने अदालती नोटिस लेने से कथित तौर पर इनकार करने और नोटिस चिपकाने गए मकान मालिक के काम में बाधा डालने पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सौनिक का व्यवहार न्यायिक शक्तियों की अवहेलना और अहंकार दिखाने वाला था।
उल्लेखनीय है कि राम अर्जुनराव शेटे और अनिल वसंतराव पलांडे सहित कुछ शिक्षकों ने पुरस्कार विजेता शिक्षकों को दोगुना वेतन वृद्धि देने के सरकार के फैसले को लागू नहीं करने के लिए 2022 में सौनिक के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। सौनिक ने 27 नवंबर, 2020 के लिखित अदालती आदेश का पालन नहीं किया।
गौरतलब है कि इस आदेश को उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। मामला अदालत में जाने के बाद, सौनिक ने एक कनिष्ठ अधिकारी से अपनी ओर से माफीनामा प्रस्तुत करने को कहा था। हालाँकि उच्च न्यायालय ने इसे न्यायपालिका की अनदेखी करने का प्रयास माना। यह माफीनामा सौनिक की सेवानिवृत्ति के बाद भेजा गया था। इस देरी को ध्यान में रखते हुए अदालत ने एक आंतरिक जांच की। अदालत ने रजिस्ट्रार को इस देरी के लिए जिम्मेदार पाए गए अधिकारी आदित्य पी. सतघरे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुमति दी है। इन सभी घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में सौनिक को 26 नवंबर को अदालत में पेश होना होगा और सभी का ध्यान इस बात पर है कि इस मामले में आगे क्या होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव