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जयपुर, 18 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने दिव्यांग वर्ग में चयनित होकर अध्यापन करा रहे शिक्षक के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और जिला शिक्षाधिकारी भरतपुर से जवाब तलब किया है। जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश मनीष कुमार कटारा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने ईडब्ल्यूएस दिव्यांग वर्ग में आवेदन किया था। उसके मूल श्रेणी में अधिक अंक आने पर विभाग ने उसका चयन कर स्कूल आवंटित भी कर दिया। याचिकाकर्ता बीते दो साल से भरतपुर के सैवर में अध्यापन करा रहा है। वहीं कार्मिक विभाग और शिक्षा निदेशक की ओर से उसे पुनः: मेडिकल जांच के लिए बाध्य किया जा रहा है। इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके पास वैध और सक्षम प्राधिकारी की ओर से जारी दिव्यांग प्रमाण पत्र है। वहीं इस प्रमाण पत्र को निरस्त भी नहीं किया गया है और उसके अपनी मूल श्रेणी से अधिक अंक हैं। ऐसे में अब उसे अनुचित रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक