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गुवाहाटी, 18 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने अपने पूरे नेटवर्क में इंट्रुज़न डिटेक्शन सिस्टम (आईडीएस) लागू कर हाथियों की सुरक्षा और सुचारू ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी पहल की है। इस अभिनव प्रणाली का उद्देश्य परिचालन दक्षता बनाए रखते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा करना है, खासकर उन इलाकों में जहां रेलवे लाइनें वनों और हाथियों के निवास वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं। आईडीएस रेल पटरियों के पास हाथियों की आवाजाही का पता लगाने के लिए उन्नत ऑप्टिकल फाइबर सेंसिंग तकनीक का उपयोग करता है, जिससे ट्रेन चालकों और नियंत्रण कक्षों को समय पर निवारक कार्रवाई करने के लिए सटीक समय पर अलर्ट प्राप्त होते हैं।
पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने शनिवार काे बताया कि पूसीरे के चार महत्वपूर्ण सेक्शनों में आईडीएस का परीक्षण सफलतापूर्वक शुरू हो चुका हैं। इनमें अलीपुरद्वार मंडल के अंतर्गत मदारीहाट-नागराकाटा सेक्शन, लामडिंग मंडल के अंतर्गत हावाईपुर-लम्सखांग-पाथरखोला-लामडिंग सेक्शन, रंगिया मंडल के अंतर्गत कामाख्या-आजरा-मिर्जा सेक्शन और तिनसुकिया मंडल के अंतर्गत तिताबर-मरियानी-नकचारी सेक्शन शामिल हैं। कुल मिलाकर, ये पायलट स्तर पर ये पहल कुल 64.03 किलोमीटर हाथी गलियारों और 141 किलोमीटर ब्लॉक सेक्शनों को कवर करती हैं, जो वन्यजीव संरक्षण और सुरक्षित रेल यातायात के प्रति रेलवे की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है।
इन परीक्षण सेक्शनों के सफल संचालन ने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के हाथी गलियारों के शेष 146.4 किलोमीटर रूट पर आईडीएस कार्यान्वयन के अगले चरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इस विस्तारित परियोजना के पूरा होने का लक्ष्य अप्रैल 2026 तय किया गया है और तब तक यह प्रणाली सभी चिन्हित हाथी गलियारों में पूरी तरह से कार्यात्मक हो जाने की उम्मीद है।
इस पहल के माध्यम से, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और यात्री सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है। प्रौद्योगिकी को संरक्षण के साथ एकीकृत करके, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों में एक ज़िम्मेदार रेलवे संचालन के रूप में एक राष्ट्रीय मानक स्थापित कर रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय