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--अगर संघ न होता तो भारत की यह समृद्धिशाली राष्ट्र की पहचान न बन पाती : गणेश केसरवानी--आरएसएस का मूल उद्देश्य भारत की संस्कृति और परम्पराओं को लेकर स्वराष्ट्र की भावना लेकर आगे बढ़ना : विजय शंकर मिश्र
प्रयागराज, 18 अक्टूबर (हि.स.)। हिंदुस्तानी एकेडमी के गांधी सभागार में विचार सेतु पत्रिका और वेबसाइट के लोकार्पण समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार और उसके 100 वर्ष की गौरवशाली यात्रा को देश के लिए बड़ी उपलब्धि और राष्ट्र के लिए गौरव की संज्ञा दी गई। कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष उसके त्याग, परिश्रम और धैर्य की ज्वलंत मिसाल है। इसे दुनिया अब स्वीकार कर रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्ष की गौरवशाली यात्रा कर समतायुक्त, ममतायुक्त और समृद्ध राष्ट्र को आगे बढ़ाने का कार्य किया, यह खुद में गौरवशाली है। पूरी दुनिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्वीकार्यता एक बड़ी उपलब्धि भी मानी जा रही है।
बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉक्टर गौतम चौधरी ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि संघ का कार्य अतुलनीय और वंदनीय है। उन्होंने कहा कि मानसिक और भाषा की आजादी अभी बाकी है। मिल जुलकर इस विचारधारा पर भी कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए पर हिंदी की उपेक्षा की करना कतई ठीक नहीं। भाषाओं को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन मानसिकता बदलनी होगी। भारतीय भाषाओं की स्वीकार्यता और सम्मान को लेकर हर हाल में चलना होगा। भारतीय भाषाओं के विस्तार की भी जरूरत है।
बतौर विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने राष्ट्र और समाज के हित में उठाए जाने वाले मुद्दों को विस्तार रूप में देने की जरूरत बताया। कहा कि वैचारिक और व्यावहारिक तौर इसे विस्तार दिए जाने की जरूरत है।
महापौर गणेश केसरवानी ने साहित्यिक परम्परा को गति देने की जरूरत पर जोर दिया। कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्र आराधन की यह यात्रा समाज के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कहा कि अगर संघ न होता तो भारत की यह समृद्धिशाली राष्ट्र की पहचान शायद न बन पाती। महापौर ने कहा कि पूरी दुनिया चाहती है कि भारत समुन्नत तरीके से आगे बढ़े, वैश्विक तरीके से समृद्धिशाली भारत के साथ आज पूरा विश्व खड़ा है।
मुख्य स्थाई अधिवक्ता विजय शंकर मिश्र ने वर्तमान समय में एक राष्ट्र के रूप में भारत की बढ़ती पहचान को लेकर विस्तार से चर्चा की। कहा कि भारत की संस्कृति और परम्पराओं को लेकर स्वराष्ट्र की भावना को आगे लेकर बढ़ना जरूरी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यही मूल उद्देश्य भी है। मुख्य स्थाई अधिवक्ता शीतला प्रसाद गौड़ ने कहा कि मौजूदा समय में वैचारिक बदलाव के दौर में इस तरह की विचारधारा की पत्रिका का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वैचारकी से ही समाज में बदलाव संभव हो पाता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रदीप तिवारी ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया उन्होंने पत्रिका और वेबसाइट के उद्देश्य के बारे में विस्तार से चर्चा की। संचालन श्लेष गौतम ने आभार ज्ञापन शिवा शंकर पाण्डेय ने किया। राजेंद्र त्रिपाठी रसराज और आनंद श्रीवास्तव की कविताओं ने माहौल बदल दिया।
इस अवसर पर अजीत सिंह, अखिलेश त्रिपाठी, अनुराग सिंह, सुनील राय, जयवर्धन त्रिपाठी, गोपालजी पाण्डेय, संतोष तिवारी, सुजीत शुक्ला, नाजिम अली, वरुण केशरवानी रवि, शिव पूजन सिंह, राजू पाठक, वर्षा जायसवाल, विमल चौबे, रवींद्र सिंह, भास्कर मिश्रा, संजय कुमार डॉ अनिल मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र