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मंडी, 17 अक्टूबर (हि.स.)। उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने आज जोगिंदर नगर में चुल्ला हाइड्रो प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया तथा प्रोजेक्ट अधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक की। इस दौरान उन्होंने परियोजना की प्रगति, उत्पादन क्षमता एवं आर्थिक स्थिति की जानकारी ली।
केवल सिंह पठानिया ने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के जोगिंदर नगर दौरे के उपरांत ही चुल्ला हाइड्रो प्रोजेक्ट सुचारू रूप से संचालित हो सका है। मुख्यमंत्री ने अपने उस दौरे के दौरान प्रोजेक्ट का स्थल निरीक्षण किया था तथा इसके लिए 185 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की थी। इस वित्तीय सहायता के फलस्वरूप प्रोजेक्ट ने मूर्तरूप लिया और अब मात्र आठ महीनों में 300 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया है, जिससे लगभग 150 करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरगामी सोच और ऊर्जा क्षेत्र में हिमाचल के हितों की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। पठानिया ने बताया कि यह परियोजना वर्ष 2002 से निर्माणाधीन थी। लगभग 435 करोड़ रुपए में तैयार होने वाली इस परियोजना पर लगभग 3000 करोड़ रुपये का खर्च आया, जिसमें से लगभग 1700 करोड़ रुपए इंटरेस्ट ड्यूरिंग कंस्ट्रक्शन के रूप में केवल निर्माण में हुई देरी के कारण व्यय हुए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार लगातार राज्य हितों की प्रभावी पैरवी कर रही है। इसी का सुपरिणाम है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कड़छम- वांगतू जलविद्युत परियोजना से रॉयल्टी को लेकर राज्य सरकार के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। इससे अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी कंपनी को 1045 मेगावाट क्षमता वाली इस परियोजना से हिमाचल को 12 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत रॉयल्टी देनी होगी। इससे प्रदेश सरकार को लगभग 150 रुपए करोड़ की वार्षिक अतिरिक्त आय होगी। साथ ही 12 वर्ष पूर्ण कर चुकी अन्य परियोजनाओं के लिए भी यह फैसला मील पत्थर साबित होगा। इस फैसले से राज्य सरकार के खजाने में प्रति वर्ष 250 करोड़ से अधिक की आय आएगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत प्राथमिकता पर लिया और प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रयास किए। वाइल्ड फ्लावर हॉल की स्वामित्व मामले में भी हिमाचल को बड़ी सफलता मिली है और इस संपत्ति से प्रदेश सरकार को लगभग 401 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे। यह मामला लगभग तीन दशकों से विचाराधीन था और वर्तमान प्रदेश सरकार ने इसकी पुरजोर ढंग से पैरवी की।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा