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चित्तौड़गढ़, 15 अक्टूबर (हि.स.)। जैसलमेर में हुए बस हादसे के तार अब चित्तौड़गढ़ की और जुड़ गए हैं। हादसे के बाद जांच हुई तो सामने आया कि बस का पंजीयन चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय में हुआ था। लेकिन बस मालिक ने नियमों के विरुद्ध जाकर बस को एसी में मोडिफिकेशन करवा लिया था, जिसकी परिवहन विभाग के अधिकारियों को भनक तक नहीं लग पाई थी। जब हादसे की जानकारी मिली तो चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग के अधिकारी भी सकते में आ गए। इस बस मालिक की अन्य बसों की भी अब जांच करवाई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जैसलमेर में मंगलवार को एसी बस हादसे में 20 लोगों के जलने से मौत हो गई। इस हादसे की मॉनिटरिंग सरकार की ओर से की जा रही है। वहीं मौके पर जो जांच हुई उसमें सामने आया कि इस बस का पंजीयन चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से हुआ था। ऐसे में सरकार की ओर से इसकी जांच भी शुरू करवा दी गई है। यहां तक की चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग कार्यालय भी हरकत में आ गया। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मुख्यालय के निर्देशों की पालना में बस के पंजीयन से संबंधित दस्तावेज की जांच की। इसमें दस्तावेज और बस की बॉडी बनवाने को लेकर खामी सामने आई है। बस मालिक ने नियमों के विपरीत जाकर बस को नॉन एसी से एसी में मोडिफिकेशन करवा दिया था। कहीं ना कहीं यही हादसे का मुख्य कारण भी हो सकता है, जो की जांच के बाद इसका खुलासा होगा। परिवहन अधिकारी कार्यालय से बस के सम्बन्ध में जानकारी जुटाई है। इसमें सामने आया कि 1 अक्टूबर को ही यह बस सड़क पर आई थी। वहीं 14 अक्टूबर को ही यह हादसा हो गया। नई बस में इस तरह का हादसा होना बड़े सवाल खड़े कर रही है।
जिला कलेक्टर पहुंचे, दस्तावेज देखे
हादसे के बाद राज्य सरकार से निर्देश मिलने के बाद चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर आलोक रंजन बुधवार दोपहर प्रादेशिक परिवार अधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां प्रादेशिक परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक तथा जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह से बस पंजीयन के संबंध में जानकारी ली है। इसमें परिवहन विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि इस बस का पंजीयन नॉन एसी के रूप में हुआ था। लेकिन बस मालिक ने नियमों के विपरीत जाकर इस बस को एसी में मॉडिफाई करवा दिया था। बाद में चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर आलोक रंजन ने प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय का भी गहनता से निरीक्षण किया है। साथ ही बस के पंजीयन के संबंध में दस्तावेज भी मांगे।
नियमानुसार हुआ था पंजीयन
जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह ने बताया कि विभाग में तो बस यह चित्तौड़गढ़ में नॉन एसी के रूप में पंजीकृत हुई। वाहन स्वामी ने इसमें क्या मोडिफिकेशन करवाया यह तो जांच करने के बाद ही बता पाएंगे। इस बस का 21 मई का बिलिंग है। तीन महीने में बस की बॉडी तैयार हुई है। उसके बाद बस पंजीयन हुई। इसमें 15 दिन बाद उसने क्या मोडिफिकेशन करवाया यह तो वाहन स्वामी ही बता सकता है। जिला परिवहन अधिकारी ने बताया की बिलिंग तो 21 मई की है। 3 माह में बॉडी बनी है। एक अक्टूबर को गाड़ी पास हुई नॉन एसी में चित्तौड़गढ़ में। कल 14 अक्टूबर की घटना बताई जा रही है। 14 दिन में वाहन स्वामी ने क्या परिवर्तन किया यह तो वही बता पाएगा। बस के पंजीयन को लेकर फोन भी आए हैं। चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर भी कार्यालय आकर गए हैं। उन्होंने भी जानकारी ली है। उन्होंने सारे दस्तावेजों की जांच की है। डीटीओ ने बताया कि चित्तौड़गढ़ में बस का पंजीयन नियमानुसार नॉन एसी में ही हुआ था।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल