हिसार : लुवास ने एफएओ रोम सम्मेलन में बुलंद किया अंतरराष्ट्रीय परचम
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले डॉ. सुजॉन खन्ना।


विस्तार विशेषज्ञ डॉ. सुजॉय खन्ना ने किया विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व

हिसार, 15 अक्टूबर (हि.स.)। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

(लुवास) ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी उत्कृष्टता का परचम लहराया है। विश्वविद्यालय

के विस्तार शिक्षा निदेशालय के विशेषज्ञ, डॉ. सुजॉय खन्ना ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य

एवं कृषि संगठन (एफएओ) के मुख्यालय, रोम (इटली) में आयोजित ‘सतत पशुधन रूपांतरण पर

वैश्विक सम्मेलन’ में लुवास का प्रतिनिधित्व किया और संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

दिलाई।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा ने बुधवार काे इस उपलब्धि पर डॉ.

सुजॉय खन्ना को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि यह लुवास के लिए अत्यंत गौरव का क्षण

है। उन्होंने कहा कि एफएओ के इस विशिष्ट मंच

पर लुवास की सक्रिय भागीदारी न केवल हमारे विश्वविद्यालय की वैश्विक पहचान को सशक्त

करती है, बल्कि यह पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान के क्षेत्र में हमारे समर्पण का भी

प्रमाण है। डॉ. खन्ना ने लुवास का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुलंद किया है।

सम्मेलन के दौरान, डॉ. खन्ना ने ‘डेयरी क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाना–शिक्षार्थियों से उद्यमी

बनने तक की यात्रा’ विषय पर एक प्रभावशाली व्याख्यान प्रस्तुत किया। उनके सारगर्भित प्रस्तुतीकरण

को अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों द्वारा अत्यधिक सराहा गया। डॉ. खन्ना

ने विशेष रूप से भारतीय डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी, ग्रामीण

अर्थव्यवस्था में उनके अपरिहार्य योगदान और शिक्षण से सफल उद्यमिता तक की यात्रा में

लुवास विश्वविद्यालय द्वारा निभाई जा रही निर्णायक भूमिका पर प्रकाश डाला। इस तीन-दिवसीय महत्वपूर्ण सम्मेलन में डॉ. खन्ना ने केन्द्रीय पशुपालन, मत्स्य

एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह, अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी, राष्ट्रीय डेयरी विकास

बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष मीनिश शाह, तथा एफएओ के सहायक महानिदेशक डॉ. थनावत टियेंसिन

जैसे कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं से सार्थक विचार-विमर्श

किया। इस सम्मेलन ने विश्वभर में

पशुधन के महत्व को रेखांकित किया, जो 1.3 अरब लोगों की आजीविका का आधार है, कृषि जीडीपी

में 40 प्रतिशत का योगदान देता है, और विश्व की कुल प्रोटीन आवश्यकता का लगभग एक-तिहाई

हिस्सा पशु-आधारित खाद्य पदार्थों से पूरा करता है। लुवास की यह भागीदारी, इन वैश्विक

लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत के प्रयासों को दर्शाती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर