उपराज्यपाल ने शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कश्मीर साहित्य महोत्सव का किया उद्घाटन
LG Sinha inaugurates Kashmir Literature Festival


श्रीनगर, 11 अक्टूबर (हि.स.)। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में कश्मीर साहित्य महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने साहित्य को राष्ट्र की आत्मा और लेखकों को मानव चेतना का निर्माता बताया।

देश-विदेश से आए लेखकों, कवियों, विद्वानों, छात्रों और विचारकों की एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि साहित्य में मन को जागृत करने और समाज को ज्ञान और सद्भाव की ओर ले जाने की शक्ति है।

उन्होंने कहा कि इंजीनियर प्रगति की संरचनाएँ बनाते हैं लेकिन लेखक विचार की संरचनाएँ बनाते हैं। अपने शब्दों के माध्यम से वे समाज के मन को जागृत करते हैं, कल्पना को प्रेरित करते हैं और पीढ़ियों को ज्ञान और सद्भाव की ओर ले जाते हैं।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों का हवाला देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि भारत के सभ्यतागत लोकाचार में हमेशा ज्ञान और विद्वता को बहुत महत्व दिया गया है। उन्होंने वैदिक लोकों का हवाला देते हुए कहा कि एक विद्वान को देश और दुनिया भर में सम्मान मिलता है जो विद्वानों के साथ सीखने और मित्रता का जश्न मनाते हैं।

व्यक्तिगत संबंध स्थापित करते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि हालाँकि उन्होंने साहित्य की नहीं बल्कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है फिर भी उन्हें दोनों के बीच एक गहरा संबंध मिला। उन्होंने कहा कि जब मैंने गणितीय और वैज्ञानिक डिज़ाइनों पर काम किया तो मेरा लक्ष्य ऐसे समाधान तैयार करना था जो सामाजिक विकास को गति दे सकें। इसी तरह एक लेखक शब्दों की ऐसी संरचनाएँ बनाता है जो सामाजिक चेतना को प्रेरित करती हैं और प्रगति को प्रेरित करती हैं।

उपराज्यपाल ने आगे कहा कि लेखक और विचारक माली की तरह होते हैं जो शब्दों को फूलों की तरह सावधानी से चुनते हैं और राष्ट्र के भावनात्मक और बौद्धिक परिदृश्य को आकार देते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि साहित्य समाज को कल्पना, सहानुभूति और नैतिक स्पष्टता प्रदान करता है जो राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक मूल्य हैं।

अपने साहित्यिक प्रभावों को याद करते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने ब्रिटिश लेखिका मेबेल कॉलिन्स और उनकी 1885 की कृति लाइट ऑन द पाथ का उल्लेख किया जिसने उन्हें गहराई से प्रेरित किया। पुस्तक से उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत लाभ की इच्छा को त्याग दो लेकिन अपने काम के प्रति निस्वार्थ समर्पण और प्रेम के साथ काम करो। उन्होंने इस संदेश को विनम्रता और सेवा का एक शाश्वत आह्वान बताया।

उपराज्यपाल ने एक सम्राट के बारे में एक दृष्टांत भी सुनाया जिसे एक बुद्धिमान लेखक ने यह भी बीत जाएगा वाक्यांश याद रखने की सलाह दी थी जो सुख और दुःख दोनों में समभाव के महत्व को रेखांकित करता है। सिन्हा ने कहा कि चाहे खुशी हो या दर्द, यह संदेश हमें जीवन के संतुलन और शब्दों की स्थायी शक्ति की याद दिलाता है।

डल झील के किनारे स्थित एसकेआईसीसी के मुख्य सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख साहित्यकारों, सांस्कृतिक हस्तियों और छात्रों ने भाग लिया। दो दिवसीय इस उत्सव का उद्देश्य कश्मीर की सदियों पुरानी साहित्यिक और दार्शनिक परंपराओं का जश्न मनाते हुए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आवाज़ों के बीच संवाद को बढ़ावा देना है। इस महोत्सव में पुस्तक लोकार्पण, कविता पाठ, संवाद सत्र और कश्मीररू सभ्यता का उद्गम स्थल तथा साहित्य एकता की शक्ति जैसे विषयों पर चर्चाएँ शामिल हैं।

उपराज्यपाल ने प्रतिष्ठित लोगों को एक साथ लाने के लिए आयोजकों की सराहना की और कहा कि ऐसे महोत्सव कश्मीर की ज्ञान, संस्कृति और रचनात्मकता की भूमि के रूप में पहचान को पुष्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य किसी भी राष्ट्र की धड़कन को दर्शाता है। लेखकों के शब्दों के माध्यम से ही सभ्यताएँ विकसित होती हैं, स्वस्थ होती हैं और अपना उद्देश्य पाती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह