जोधपुर, 11 अक्टूबर (हि.स.)। मातृभाषा के बगैर किसी भी प्रदेश की संस्कृति जीवित नहीं रह सकती है। अगर राजस्थानी संस्कृति को बचाना है तो हमें हमारी मातृभाषा राजस्थानी को बचाना होगा। यह विचार राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ.गजेसिंह राजपुरोहित ने एनईपी के अंतर
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