(अपडेट) संघ की प्राथमिकता हमेशा देश की प्राथमिकता रही है : प्रधानमंत्री
कार्यक्रम के दौरान स्मारक सिक्का जारी करते प्रधानमंत्री मोदी


कार्यक्रम के दौरान स्मारक सिक्का जारी करते प्रधानमंत्री मोदी, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता एवं केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत


नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष से जुड़े संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रम में संघ की संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ की प्राथमिकता हमेशा देश की प्राथमिकता रही है। संघ अपनी यात्रा के दौरान हमेशा समय से जुड़ी समस्या से जूझा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को यहां के डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्र के प्रति संघ के योगदान को दर्शाने वाला एक विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए स्मारक डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का जारी किया।कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई गण्यमान्य मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “संघ की समाज के साथ एकात्मता और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति आस्था ने स्वयंसेवकों को हर संकट में स्थितप्रज्ञ रखा है और समाज के प्रति संवेदनशील बनाए रखा है।” उन्होंने कहा कि विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना महज संयोग नहीं बल्कि राष्ट्र चेतना का पुनरुत्थान था। इस युग में संघ चिरकाल से चली आ रही राष्ट्र चेतना का पुनरावतार है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हजारों वर्षों से चली आ रही उस परंपरा की पुनर्स्थापना है जिसमें राष्ट्र चेतना समय-समय पर युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए-नए अवतारों में प्रकट होती है।”

इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दूसरे देशों पर निर्भरता, जनसांख्यिकी बदलाव और समाज को तोड़ने की कोशिशों को वर्तमान काल की प्रमुख चुनौतियां बताया और कहा कि सरकार इनसे निपटने के लिए काम कर रही है। संघ ने भी इस दिशा में एक ठोस रोडमैप तैयार किया है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने संघ की ओर से दिए गए ‘पंच परिवर्तन’ की बात दोहराई और कहा कि उनकी सरकार भी इसी दिशा में काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ के पांच परिवर्तन स्वबोध, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक शिष्टाचार और पर्यावरण हैं। यह संकल्प हर स्वयंसेवक के लिए देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को स्वीकार करने की बहुत बड़ी प्रेरणा है।” उन्होंने कहा कि संघ को मुख्यधारा में आने से रोकने के कई प्रयास हुए और यहां तक की दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर को जेल तक भेजा गया लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी रोष प्रगट नहीं किया। संघ का स्वयंसेवक हमेशा कष्ट उठाकर सेवा कार्य करता रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर जारी विशेष डाक टिकट का चित्रण किया और बताया कि शायद पहली बार किसी सिक्के में ‘भारत माता का चित्र’ अंकित है। इसमें संघ के स्वयंसेवकों को भारत माता को नमन करते हुए भी चित्रित किया गया है। इस सिक्के में संघ का बोध वाक्य ‘राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम’ लिखा है। वहीं दूसरी ओर डाक टिकट में गणतंत्र दिवस परेड-1963 में संघ के स्वयंसेवकों की भागीदारी और आपदा के समय सेवा कार्य करते हुए दर्शाया गया है।

मोदी ने संघ की तुलना नदी से की और कहा कि इसका हमेशा एक प्रबल राष्ट्र प्रवाह रहा है। संघ के संगठन समाज के हर पक्ष से जुड़कर राष्ट्र को मजबूत करने का कार्य करते हैं। जैसे नदियों के किनारे सभ्यता फलती-फूलती है वैसे ही संघ के किनारे कई पुष्प पल्लवित हुए हैं। उन्होंने संघ के स्वयंसेवक होने के नाते इस बात का गर्व व्यक्त किया कि नदी की भांति ही संघ की अनेक धारा बनी लेकिन कभी इनमें कोई विरोधाभास पैदा नहीं हुआ। इसके पीछे कारण रहा कि इसमें कार्यरत स्वयंसेवक राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्य करते हैं। संघ ने समाज कार्य से जुड़े सभी आयामों को स्पर्श किया है।

प्रधानमंत्री ने संघ कार्य की तुलना कुम्हार से की और कहा कि संघ वह स्थान है जहां सामान्य लोग असमान्य कार्य करते हैं। इसके पीछे संघ की ‘व्यक्ति निर्माण’ की कार्य इकाई शाखा है। इसकी पद्धति डॉ साहब ने विकसित की थी। इसी कारण से आज अनेक थपेड़ों के बावजूद संघ वटवृक्ष की तरह खड़ा है। संघ की शाखा को उन्होंने प्रेरणा भूमि बताया और कहा कि यहां स्वयंसेवक को अहम से वयं की यात्रा पर ले जाती है। शाखा व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी है।

उन्होंने पिछले सौ वर्षों के दौरान संघ के विभिन्न सेवा कार्यों और राष्ट्र निर्माण में भूमिका से जुड़े कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने समाज एकता में संघ भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि 1984 के दंगों में संघ के स्वयंसेवकों ने सिख भाइयों को अपने घरों में आश्रय दिया। दूरदराज और दुर्मग क्षेत्र में रह रहे आदिवासी भाई बहनों के लिए कार्य किया। इस तरह से संघ ने देश की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ रखने में सहयोग दिया।

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की कुरीतियों को मिटाने में संघ की अहम भूमिका रही है। संघ के हर सरसंघचालक ने इस दिशा में काम किया। वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी समरसता की दृष्टि से हमारे सामने लक्ष्य रखा है। इसमें एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान की बात कही गई है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत में भाजपा नेता प्रो विजय कुमार मल्होत्रा को श्रद्धांजलि दी और उन्हें एक आदर्श स्वयंसेवक कहकर संबोधित किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने देशवासियों को महानवमी और दशहरे पर्व की बधाई दी।

समाज की सक्रियता और पुरुषार्थ को जागृत करना ही संघ का जीवन व्रतः सरकार्यवाह

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत सरकार को विशेष डाक टिकट और सिक्का जारी करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का काम देश और समाज के लिए कार्य करने वालों को सम्मान देना है। सरकार्यवाह ने कहा कि समाज की सक्रियता और पुरुषार्थ को जागृत करना ही संघ का जीवन व्रत रहा है। संघ प्रतिक्रिया में बना हुआ संगठन नहीं है। हमारा उद्देश्य राष्ट्र के लिए काम करना और विश्व के कल्याण में योगदान देना रहा है। व्यक्ति को समाज से जोड़ना हमारा कार्य है। इस बारे में हमें किसी के सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है और संघ की कोई अपेक्षा भी नहीं है।

सरकार्यवाह ने देश के बारे में चलाए जा रहे नकारात्मक कथानक के प्रति अगाह किया और कहा कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में भारत के विमर्श को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि भारतीय समाज के बारे में विमर्श सकारात्मक और सत्य आधारित होनी चाहिए। संघ कार्य की पद्धति नई है लेकिन कार्य वही है। यही डॉ. हेडगेवार ने कहा था कि संघ भारत की जीवन संस्कृति के जागरण का कार्य है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा