पति-पत्नी बंटी और बबली हैं, झारखंड के लोगों को ठगा है : बाबूलाल मरांडी
रांची, 21 अक्टूबर (हि.स.)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने साेमवार काे कहा कि परिवारवाद का मतलब परिवार से ही पार्टी की पहचान और परिवार से ही पार्टी संचालित होना है। देश में कांग्रेस पार्टी की पहचान और संचालन गांधी परिवार से होता है। झारखंड मे
बाबूलाल मरांडी का फाइल फाेटाे


रांची, 21 अक्टूबर (हि.स.)। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने साेमवार काे कहा कि परिवारवाद का मतलब परिवार से ही पार्टी की पहचान और परिवार से ही पार्टी संचालित होना है। देश में कांग्रेस पार्टी की पहचान और संचालन गांधी परिवार से होता है। झारखंड में झामुमो की पहचान और संचालन शिबू सोरेन के परिवार से होता है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की पहचान और संचालन लालू प्रसाद यादव के परिवार से होता है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पहचान और संचालन भी मुलायम सिंह यादव के परिवार से होता है। इसे परिवारवाद कहते हैं।

उन्होंने कहा कि कोई चुनाव लड़ता है तो कहीं ना कहीं किसी का कोई बेटा होता है, कोई बहू होती है, कोई पत्नी होती है, कोई भाई होता है। यह हो सकता है लेकिन पार्टी का संचालन वे नहीं करते हैं। पार्टी का संचालन कार्यकर्ता करते हैं। भारतीय जनता पार्टी का एक सिस्टम है। इसी सिस्टम के तहत पार्टी का संचालन होता है। इसे परिवारवाद कहना गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय कुछ लोगों की नाराजगी होती है। सभी से हम लोग बात कर रहे हैं। मरांडी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह पता है कि वह चुनाव बुरी तरीके से हार रहे हैं। इसलिए अभी से उन्होंने बहाना बनाना शुरू कर दिया है। आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि बीजेपी चुनाव आयोग से मिली हुई है। कोई सबूत तो दे दे।

मरांडी ने कहा कि बंटी और बबली पति-पत्नी हैं। पांच साल इन दोनों ने झारखंड के लोगों को ठगा है। उन्होंने कहा था कि लोगों को एक साल में 72,000 रुपये देंगे। पांच साल हो गए हेमंत सोरेन ने किसी गरीब को 72,000 रुपये नहीं दिये। मां बहनों को चूल्हा खर्च हर महीने 2,000 रुपये देने की बात कही थी। पांच साल बीत गये, किसी को चूल्हा खर्च नहीं दिया।

उन्होंने बेटियों से कहा था कि शादी होने पर सोने का सिक्का देंगे। एक भी लड़की को सोने का सिक्का नहीं दिया। वृद्ध, दिव्यांग को कहा था कि ढाई हजार रुपये महीने पेंशन देंगे। किसी को नहीं दिया। नौजवानों को 5 लाख नौकरी देने की बात कही थी। अपने पिताजी की कसम खाई थी। कहा था कि पांच लाख नौकरी नहीं देने पर राजनीति से संन्यास ले लेंगे। जो व्यक्ति पिताजी की कसम खाकर पूरा नहीं करता है, उन पर कौन भरोसा करेगा। विधानसभा में कहा था कि बीए पास को 5000 और एमए पास को 7000 रुपये भत्ता देंगे। एक भी काम पूरा नहीं किया। जब चुनाव आ गया तब नया तरकीब भिड़ाया और महिलाओं को अगस्त से 1000 रुपये देने लगे। तीन महीना दिए हैं। उन्होंने दिसंबर से 2,500 देने की बात कही है श। यही बंटी और बबली का खेल है।

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हिन्दुस्थान समाचार / शारदा वन्दना